31 अगस्त, 2010

सूखी डाली

है आज वह सूखी डाली ,
जो शोभा बढाया करती थी ,
कभी किसी हरे वृक्ष की ,
फल फूलों से लदी हुई वह ,
आकर्षित सब को करती थी ,
उस डाली पर बैठे बैठे ,
पक्षियोंकी चहचहाहट,
फुर्र से उड़ना उनका ,
बापिस वही लौट आना ,
घंटों बैठ चोंच लड़ाना ,
बहुत अच्छा लगता था ,
जाने कितना आकर्षण ,
उसमे होता था,
पथ से गुजरते राही ,
जब उसे निहारते थे ,
आत्म विभोर हो जाते थे ,
फल प्राप्ति की चाहत में ,
कई प्रयत्न किया करते थे ,
जब फल पकते और टपकते थे ,
कई जीव पेट अपना भरते थे ,
जीवन में हरियाली छाई थी ,
नामोंनिशां उदासी का न था ,
पर अब वह सूख गई है ,
उस पर उल्लू बैठा करते है ,
उसकी अवहेलना सभी करते हैं ,
ध्यान कहीं और रहता है ,
शिकार कई खोज में रहते हैं ,
जब लकड़हारा देख उसे ,
काटने के लिए चुन रहा है ,
वह और उदास हो जाती है ,
वृद्धावस्था की तरह ,
उसकी कमर झुक जाती है ,
एक दिन काटी जाएगी ,
अग्नि को समर्पित की जाएगी ,
उसकी जीवन लीला की ,
ऐसे ही समाप्ति हो जाएगी ,
वह सूख गई है ,
कभी हरी ना हो पाएगी ,
सोचती हूं ,विचारती हूं ,
इस क्षणभंगुर जीवन की ,
और कहानी क्या होगी |
आशा

13 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी पंक्तिया है ......
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/

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  2. वैचारिक और भाषाई स्तर पर बहुत ख़ूब कविता !

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  3. बहुत सुंदर -
    जीवन का निचोड़ -
    मन के भाव-
    सम्मिलित हो गए हैं .
    शुभकामनाएं .

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  4. जिंदगी आंसुओं का एक प्याला था,
    थोडा पी गए, थोडा छलका गए.

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  5. यही सार है ज़िंदगी का ..कभी हरियाली और अंत में वृक्ष से टूट जाना ...

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  6. Namaskar Asha Maa

    आपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  7. आशा जी चरन स्पर्श! आपने जीवन के कटु सत्य को बड़ी ही सहज शैली मेँ कह दिया हैँ। आपके अनुभव को सलाम। शुभकामनायेँ! मैँ भी कहना चाहता हूँ कि "शब्द ही संसार हैँ, शब्द ही साकार हैँ, शब्द ही निराकार हैँ। जो समझ गया तो सार हैँ। जो ना समझा तो बेकार हैँ।" -: VISIT MY BLOG :- गमोँ की झलक से जो डर जाते हैँ।............गजल को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकती हैँ।

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  8. बहुत सुन्दर कविता... ...अच्छी लगी.
    श्री कृष्ण-जन्माष्टमी पर ढेर सारी बधाइयाँ !!
    ________________________
    'पाखी की दुनिया' में आज आज माख्नन चोर श्री कृष्ण आयेंगें...

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  9. बहुत खूब लिखा आपने.... खूबसूरत अभिव्यक्ति.

    श्री कृष्ण-जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.

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  10. यही तो ज़िन्दगी की सच्चाई है।
    कृष्ण प्रेम मयी राधा
    राधा प्रेममयो हरी


    ♫ फ़लक पे झूम रही साँवली घटायें हैं
    रंग मेरे गोविन्द का चुरा लाई हैं
    रश्मियाँ श्याम के कुण्डल से जब निकलती हैं
    गोया आकाश मे बिजलियाँ चमकती हैं

    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये

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  11. जीवन की लंबी कथा का सुन्दर सा सारांश बहुत हृदयग्राही लगा ! बहुत बढ़िया प्रस्तुति ! बधाई !

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