23 सितंबर, 2010

है जन्म दिन छोटे का

कल है जन्म दिन छोटे का ,
बार बार प्रश्न करता है ,
मां तुम केक कब लाओगी ,
मेरे लिए क्या बनाओगी ,
इस बार जींस लाना ,
नया शर्ट भी दिलवाना ,
अभी वह नहीं जानता ,
महंगाई क्या होती है ,
गरीबी किसे कहते हैं ,
घर की हालत ऐसी क्यूँ है?
उसके प्रश्न सुन कर ,
दिल छलनी होने लगता है ,
रोने को मन करता है ,
वह सोचने लगती है ,
कैसे उसे संतुष्ट करे ,
उसकी सालगिरह कैसे मनाए ,
सड़क पूरी सूनी है,
काफी रात बाकी है ,
भारी कदम लिए खड़ी थी ,
सोच रही थी कल क्या होगा ,
एक कार पीछे से आई ,
ड्राइवर ने होर्न बजाया ,
बेध्यानी में सुन ना पाई ,
गति थी गाड़ी की धीमी ,
चोट तो लगी पर मृत्यु ना आई ,
कार वाला डर गया था ,
पांचसौ का नोट निकाला ,
उस पर फेंका और चल दिया ,
जैसे तैसे घर को आई ,
अपनी चोटों को सहलाया ,
पर वह यह सोच खुश थी ,
कल सालगिरह तो मन पाएगी ,
प्रश्नों की झड़ी से तो बच पाएगी ,
चोटों का क्या वे तो,
ठीक हो ही जाएंगी|
आशा

7 टिप्‍पणियां:

  1. बच्चे का अरमान पूरा होगा इसी बात कि तसल्ली कर खुश है माँ .. संवेदनशील अभिव्यक्ति

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  2. पर वह यह सोच खुश थी ,
    कल सालगिरह तो मन पाएगी ,
    प्रश्नों की झड़ी से तो बच पाएगी ,
    चोटों का क्या वे तो,
    ठीक हो ही जाएंगी|
    --
    आपकी रचना ने सिद्ध कर दिया कि
    माँ ममता का पर्याय होती है!
    --
    बहुत ही सुन्दर रचना है!

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  3. माँ की सच्ची प्रार्थना ईश्वर ने सुन ली ! और उसकी समस्या का समाधान हो गया ! चोट तो समय के साथ ठीक हो ही जायेगी कम से कम अब बच्चे का जन्मदिन तो मन जाएगा ! बहुत खूब ! मर्मस्पर्शी रचना !

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  4. बस यही तो माँ की ममता होती है………………खूबसूरती से बाँधा है।

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  5. कौनसे रूप में भगवान सुन ले ?
    बस हमारी आस्था हो |
    माँ कितनी भी चोट खाकर ,चाहे वो तन की हो ,मन की हो बच्चे की ख़ुशी चाहती है |
    बहुत सुन्दर भावो की अभिव्यक्ति |

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  6. बहुत सुन्दरता से ममत्व छलकाया..सुन्दर रचना.

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