अनेक दर्द दिल में छिपाए उसने ,
है ऐसा क्या उन में ,
बांटने से भी डरता है ,
उन पर चर्चा,
से भी हिचकता है ,
कई बार लगता है ,
बांटने से दिल का बोझ ,
किसी हद तक कम हो सकता है ,
पर यदि वह ना चाहे ,
कोई क्या कर सकता है ,
शायद वह नहींसीख पाया ,
मिलजुल कर रहने की आदत ,
नहीं पहचान पाया ,
जीवन में उसकी जरूरत ,
यही कारण दीखता है ,
किसी से साँझा नही करता ,
खुद भी अकेला रहता है ,
गम के दरिया में बहता रहता है ,
उदासी पीछा नहीं छोडती ,
वीरान जिंदगी लगती है ,
आवश्कता मित्रों की ,
महत्व उनके होने का ,
जब वह समझ पाएगा ,
विचारों का सांझा करेगा ,
तब बोझ दिल पर ना होगा ,
मित्रों में बात जाएगा ,
वह प्रसन्न रह पाएगा |
आशा
बहुत ही मार्मिक कविता...
जवाब देंहटाएंमन को छू लेने वाली कविता लिखी है आपने। बधाई।
bahot sunder likhi hai.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता. मित्रों और स्वजनों में बांटने से ही दुख कम होता है और सुख दो गुना होता है ।
जवाब देंहटाएंप्रेरक रचना। बातें बांटने से मन हलका हो ही जाता है। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंआयी हो तुम कौन परी..., करण समस्तीपुरी की लेखनी से, “मनोज” पर, पढिए!
बहुत अच्छा लिखा है आपने ! मित्रों का जीवन में सदैव महत्वपूर्ण स्थान होता है ! जो उनसे कतरायेगा अकेला ही रह जाएगा और अपने गम का बोझ भी उठा नहीं पायेगा !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ! बधाई !