मेरी यादों में तू भी,
कभी रोया होगा ,
मेरी तस्वीर को,
आँसुओं से भिगोया होगा ,
पुरानी बातों का जिक्र ,
हर बार हुआ करता था ,
दिल की बातों का इज़हार ,
हो कैसे मालूम न था ,
यूँ बिछुड़ जायेंगे ,
यह सोचा न था ,
कभी ना मिल पायेंगे ,
इसका अन्दाज़ा न था ,
जब भी तेरे साये से ,
लिपट कर रोया मैं ,
सीने में उठे दर्द को ,
सम्हाल ना पाया मैं |
आशा
'असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय ' यानी कि असत्य की ओर नहीं सत्य की ओर, अंधकार नहीं प्रकाश की ओर, मृत्यु नहीं अमृतत्व की ओर बढ़ो ।
जवाब देंहटाएंदीप-पर्व की आपको ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं ! आपका - अशोक बजाज रायपुर
ग्राम-चौपाल में आपका स्वागत है
http://www.ashokbajaj.com/2010/11/blog-post_06.html
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जवाब देंहटाएंदीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंबेहद मार्मिक चित्रण्।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण प्रस्तुति .........
जवाब देंहटाएंबेहद मार्मिक अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर
डोरोथी.
बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति ! अति सुन्दर !
जवाब देंहटाएंजब भी तेरे साये से,
जवाब देंहटाएंलिपट कर रोया मैं ,
सीने मैं उठे दर्द को ,
सम्हाल ना पाया मैं |
bahoot hi marmik prastuti..... very nice.
आप सब का मेरे ब्लॉग पर आने के लिए बहुत बहुत आभार |प्रोत्साहित करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
भावपूर्ण प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं.....अपनी तो आदत है मुस्कुराने की !
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंमेरी यादों में तू भी,
जवाब देंहटाएंकभी रोया होगा ,
मेरी तस्वीर को,
आँसुओं से भिगोया होगा ,
बहुत भावपूर्ण...