आधी अधूरी कही अनकही
जाने अनजाने कितनी बातें
रोज हुआ करती हैं
आसपास की मित्र मंडली
उनको हवा देती है |
कुछ को शब्द मिलते ही
आग सी भड़क जाती है
जो दबी छिपी रह जाती हैं
ठंडे बस्ते में चली जाती हैं
पर सब सच नहीं होतीं
कल्पना ही उन्हें हवा देती है
यदि उसके पंख कट जायें
ओर उड़ान ना भर पायें
तब दिल में छिपे अरमानों को
अभिव्यक्ति नहीं मिलती
जब कुछ शब्द मुँह से निकल
इधर उधर बिखर कर
वजह बन जाते हैं
स्थिति विस्फोटक होने की
तब लगने लगता है
मौन रहना ही उचित है
फिर मौन क्यूँ न रहा जाये
यदि इसे अपना पायें
अनजाने कष्टों से बच पायेंगे
सब झंझटों से मुक्ति पायेंगे
सच में मौन सोना है
जो भी इसे पा लेता है
वही धनवान हो जाता है
सफल जिन्दगी जी पाता है |
आशा
,
आशा जी यह आपके जीवन के अनुभवों से निकली कविता है.. बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंशुरू से अंत तक सच की सरल अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंसादर -
जिंदगी की सच्चाईयों को खूबसूरती से उकेरती सुंदर भावप्रवण प्रस्तुति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर
डोरोथी.
अच्छी प्रस्तुति ...मौन ..बहुत सुकून देता है
जवाब देंहटाएंbahut hi khoobsurat kavita hai.
जवाब देंहटाएंमौन के अंतस में कितना प्रबल ज्वालामुखी करवटें लेता रहता है इसका आभास शायद किसीको नहीं मिल पाटा ! और जिस दिन यह ज्वालामुखी फट पडता है जीवन का सारा सोना पिघल कर कहाँ बिला जाता है कोई नहीं जान पाता इसलिए थोड़ा-थोड़ा गुबार बाहर निकलता रहे यही श्रेयस्कर है ! बहुत सुन्दर प्रस्तुति ! बधाई एवं आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव से भरा हुआ काव्य है|मेरी शुभकामनाये......
जवाब देंहटाएंइधर उधर बिखर कर ,
जवाब देंहटाएंवजह बन जाते हें ,
स्थिति विस्फोटक होने की ,
तब लगने लगता है ,
मौन रहना ही उचित है ,
फिर मौन क्यूं न रहा जाए ,
कभी- कभी यही लगता है ...!
aadarniy mam
जवाब देंहटाएंaapne ekdam yathrth ko prastut kar diya hai.aapki is kavita par ek kahawat yaad aa gai------
ek baat sou bakhede
ek chup hajar chup
फिर मौन क्यूं न रहा जाए ,
यदि इसे अपना पाएं ,
अनजाने कष्टों से बच पाएंगे ,
सब झंझटों से मुक्ति पाएंगे ,
सच में मौन सोना है ,
जो भी इसे पा लेता है ,
वही धनवान हो जाता है ,
सफल जिन्दगी जी पाता है |
bahut hi sarthak post
dhanyvaad-------------------------poonam
Bahut khoob. Ek ek pankti man ko chhoo gayi.
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