रंग बिरंगे फूल चुने
चुन-चुन कर
माला बनाई
रोली चावल और नैवेद्य से
है थाली खूब सजाई
यह नहीं केवल आकर्षण
प्रबल भावना है मेरी
माला में गूँथे गये फूल
कई बागों से चुन-चुन
नाज़ुक हाथों से
सुई से धागे में पिरो कर
माला के रूप में लाई हूँ
भावनाओं का समर्पण
ध्यान मग्न रह
तुझ में ही खोये रहना
देता सुकून मन को
शांति प्रदान करता
जब भी विचलित होता
सानिध्य पा तेरा
स्थिर होने लगता है
नयी ऊर्जा आती है
नित्य प्रेरणा मिलती है
दुनिया के छल छिद्रों से
दूर बहुत हो शांत मना
भय मुक्त सदा रहती हूँ
होता संचार साहस का
है यही संचित पूँजी
इस पर होता गर्व मुझे
हे सृष्टि के रचने वाले
मन से करती स्मरण तेरा
तुझ पर ही है पूरी निष्ठा |
आशा
जीवन में इसी साहस, आस्था और समर्पण भाव की आवश्यकता होती है ! इतनी शुद्ध और सात्विक भावना के साथ किया गया अर्चन सदैव प्रतिफलित होता है ! बहुत ही सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता के लिए आभार
जवाब देंहटाएंदुनिया के छल छिद्रों से ,
जवाब देंहटाएंबहुत दूर रह ,
शांत मना रहती हूँ ,
भय मुक्त रहती हूँ ,
बहुत सुंदर आस्था का चित्रण -
नववर्ष की मंगलकामनाएं -
bahut sunder likhi hain.
जवाब देंहटाएंनए साल की पहली पोस्ट.प्यारी रचना....अच्छी लगी. नव वर्ष पर आपको ढेर सारी बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएं_____________
'पाखी की दुनिया' में नए साल का पहला दिन...
आपको तथा आपके परिवार के सभी जनों को वर्ष 2011 मंगलमय,सुखद तथा उन्नत्तिकारक हो.
जवाब देंहटाएंईश्वर प्रेम की उत्कॄष्ट रचना । नव वर्ष की बधाई ।
जवाब देंहटाएंनए साल की पहली पोस्ट की बधाई और बधाई नये साल की भी.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना .. सुन्दर भाव... आपको और आपके परिवार इष्ट मीतों के लिए नया साल शुभ हो .. मंगल कामनाएं ..
जवाब देंहटाएंसृष्टि के रचयिता के प्रति निष्ठा की सुन्दर अभिव्यक्ति. नव वर्ष की शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंसृष्टि रचयिता पर विश्वास हो ...बस और क्या चाहिए ....
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
श्रद्धा एवं आस्था का उजास फ़ैलाती सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
..... प्रशंसनीय रचना - बधाई
जवाब देंहटाएंहे सृष्टि के रचने वाले ,
जवाब देंहटाएंपूरे मन से सदा ,
तेरा स्मरण करती हूं ,
तुझ पर ही ,
पूरी निष्ठा रखती हूं ...
जो उस पर विश्वास रखता है ... वो सफल रहता है ... आशा पूर्ण लिखा है ...