पहले जब देखा उन्हें ,
वे मेरे निकट आने लगे ,
मन में भी समाने लगे ,
जब तब सपनों में आकर ,
उन्हें भी रंगीन करने लगे ,
आने से उनके ,
जो फैलती थी सुरभि ,
स्वप्न में ही सही ,
सारी बगिया महक उठती थी ,
बहुत बार विचार किया ,
फिर मिलने की आशा जागी ,
पहले तो वे सकुचाए ,
फिर घर का पता बताने लगे ,
उन लोगों तक जब पहुँचा ,
कुछ कहना चाहा हाथ माँगा ,
एक ही उत्तर मिला ,
घर वालों से पहले पूछो ,
उनकी स्वीकृति तो लो ,
बात उठाई जब घर में ,
सुनने को मिला आदेश भी ,
यह खेल नहीं गुड्डे गुड़िया का ,
सारी बातें भूल जाओ ,
पहले अपना भविष्य बनाओ ,
फिर कोई विचार करना ,
गहन हताशा हाथ आई ,
मन बहुत उदास हुआ ,
अचानक जाने क्या हुआ ,
जल्दी ही मन के विरुद्ध ,
किया गया एक रिश्ता ,
बे मन से ही सही ,
उसे स्वीकार करना पड़ा ,
सोचने को है बहुत कुछ ,
ओर सोचा भी कम नहीं ,
मन कसैला होने लगा ,
पर एक बात ध्यान आती है ,
शायद होता यही दस्तूर दुनिया का ,
यहाँ हर रिश्ता बे मेल होता है ,
पर समाज को स्वीकार होता है |
आशा
आदरणीय आशा माँ
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
सत्य की की राह दिखने वाली सुन्दर रचना!
बिल्कुल सही कह रही हैं आप ! समाज में व्याप्त निर्मम यथार्थ का दर्पण है आपकी रचना ! एक अच्छी और सच्ची पोस्ट ! बधाई !
जवाब देंहटाएंसोचने को है बहुत कुछ ,
जवाब देंहटाएंओर सोचा भी कम नहीं ,
मन कसैला होने लगा ,
पर एक बात ध्यान आती है ,
शायद होता यही,
दस्तूर दुनिया का ,
यहां हर रिश्ता बे मेल होता है ,
पर समाज को स्वीकार होता है |
थोडा समय लगता है किसी भी रिश्ते को स्वीकारने में पर अंत में स्वीकारना ही पड़ता है
...............यही तो दस्तूर दुनिया का
bahut hi sundar rachna
जवाब देंहटाएंshabd kam pad jaate hain, tareef main
यहां हर रिश्ता बे मेल होता है ,
जवाब देंहटाएंपर समाज को स्वीकार होता है |
कटु सत्य का बोध कराती हुई सुंदर रचना -
यहां हर रिश्ता बे मेल होता है ,
जवाब देंहटाएंपर समाज को स्वीकार होता है |
एक कडवे सच को उकेर दिया……………बहुत ही बढिया।
पर एक बात ध्यान आती है ,
जवाब देंहटाएंशायद होता यही,
दस्तूर दुनिया का ,
यहां हर रिश्ता बे मेल होता है ,
पर समाज को स्वीकार होता है |
बिलकुल सच कहा आशा जी । लेकिन जीना पडता है बेमेल रिश्तों के साथ भी। बहुत अच्छी लगी रचना। बधाई।
समाज में व्याप्त यथार्थ का दर्पण है आपकी रचना !
जवाब देंहटाएंपर एक बात ध्यान आती है ,
जवाब देंहटाएंशायद होता यही दस्तूर दुनिया का ,
यहां हर रिश्ता बे मेल होता है ,
पर समाज को स्वीकार होता है |
bilkul sach di.........:)
bahut khubi se aap apnee baat kah jati ho, hai na...:)
Di mere naye post ko dekhna....mere blog pe!!