05 मार्च, 2011

नारी


माँ के आँचल में पली बढी
आँगन में पनपी तुलसी सी
नन्हीं बाहें फैला कर
अस्तित्व बनाया अपना भी|
मधुरस से मीठे बोलों से
चहकी मधु बयनी मैना सी
हो गयी घर में रौनक
वह बढ़ने लगी वल्लरी सी |
छिपे गुण प्रस्फुटित हुए
वय बढ़ने के साथ
उत्साह भी कम नहीं
है ललक बहुत कुछ करने की |
सहनशील है, अनुशासित है
कर्तव्य बोध गहरा उसमें
कर्मठ है, जुझारू है
रहती व्यस्त कई कार्यों में |
इतने से जीवन काल में
कई भूमिका निभाती है
बेटी बहिन माँ बन कर
सब का मन हर लेती है |
प्रेयसी या अभिसारिका होती
बन जीवन संगिनी मन में बसती
कार्य कुशलता की धनी है
बाहर भी जंग जीत लेती |
वह अबला ऩही है
कर्त्तव्य अपने जानती है
विमुख नहीं अधिकारों से भी
उन्हें खोना नहीं चाहती |
इसी लिए दौड़ रही है
आज के व्यस्त जीवन में
बराबरी से चल रही है
स्पर्धा की दुनिया में |

आशा


21 टिप्‍पणियां:

  1. वाह-नारी जीवन का वर्णन बहुत खूबसूरती से किया है -
    बधाई स्वीकारें .

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  2. वह अवला ऩही है
    कर्त्तव्य अपने जानती है
    विमुख नहीं अधिकारों से भी
    उन्हें खोना नहीं चाहती |
    इसी लिए दौड़ रही है
    आज के व्यस्त जीवन में
    बराबरी से चल रही है
    स्पर्धा की दुनिया मैं |
    --
    नारियों में आत्मविश्वास प्रबल करती हुई!
    बहुत सुन्दर रचना!

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  3. बहुत सुन्दर विचार युक्त कविता है |
    बधाई ।

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  4. नारी को बहुत सशक्त शब्दों के साथ सार्थकता से परिभाषित किया है आपने ! बहुत ही अच्छी लगी यह रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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  5. नारी का हर रूप ओजस्वी होता है ,नारी जीवन की सरस विवेचना|

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  6. वह अबला ऩही है
    कर्त्तव्य अपने जानती है
    विमुख नहीं अधिकारों से भी
    उन्हें खोना नहीं चाहती |
    इसी लिए दौड़ रही है
    आज के व्यस्त जीवन में
    बराबरी से चल रही है
    स्पर्धा की दुनिया मैं |

    नारी जीवन की बहुत सुन्दर और प्रेरक विवेचना. बहुत सुन्दर और सशक्त रचना..

    जवाब देंहटाएं
  7. नारी जीवन की बहुत सुन्दर और प्रेरक विवेचना

    जवाब देंहटाएं
  8. सहनशील है, अनुशासित है
    कर्तव्य बोध गहरा उसमें
    कर्मठ है, जुझारू है
    रहती व्यस्त कई कार्यों में

    सुन्दर और सशक्त रचना..

    जवाब देंहटाएं
  9. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 08-03 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  10. नारी जीवन का वर्णन बहुत खूबसूरती से किया है धन्यवाद|

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  11. कमाल की रचना ...बेहद खूबसूरत ! शुभकामनायें !

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  12. आधुनिक नारी के सम्मान में भींगी-भींगी सी कविता।

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  13. नारी की सार्थकता को बहुत सुन्दरता से परिभाषित किया है।

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  14. वह अबला ऩही है
    कर्त्तव्य अपने जानती है
    विमुख नहीं अधिकारों से भी
    उन्हें खोना नहीं चाहती ...

    आज की सजग नारी का चित्र खींच दिया है आपने ... सच है की आज नारी अपने अप में विश्वास है ..

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  15. नारी जीवन का वर्णन बहुत खूबसूरती से किया है.
    महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.

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  16. वह अवला ऩही है
    कर्त्तव्य अपने जानती है
    विमुख नहीं अधिकारों से भी
    आज की नारी सच मे अबला नही है। बहुत सुन्दर । शुभकामनायें।

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  17. मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आप सब का बहुत बहुत आभार |
    आशा

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  18. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार
    नारी जीवन की बहुत सुन्दर और प्रेरक विवेचना.

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