खोने लगी हूँ सपनों की दुनिया में
अपने आप में अदृश्य की तलाश में
कल्पना सजग हुई है
मन का कौना तलाशती है |
हो एक अज्ञात कल्पना
स्वप्न लोक का हो विस्तार
आस पास बुने जाल में
हो छिपी भावनाओं का स्पन्दन |
अदृश्य अहसास की छुअन
सानिध्य की लगन
लगता है स्त्रोत कल्पना का
जो हैअसीम है अक्षय
अनंत है विस्तार जिसका |
खोज रही हूँ पहुँच मार्ग
स्त्रोत तक जाने के लिए
जैसे ही पहचान लूंगी
निर्वाध गति से आगे बढूगी
अदृश्य सत्य को साकार पा
आकांक्षा पूरी करूंगी |
आशा
अपने आप में अदृश्य की तलाश में
कल्पना सजग हुई है
मन का कौना तलाशती है |
हो एक अज्ञात कल्पना
स्वप्न लोक का हो विस्तार
आस पास बुने जाल में
हो छिपी भावनाओं का स्पन्दन |
अदृश्य अहसास की छुअन
सानिध्य की लगन
लगता है स्त्रोत कल्पना का
जो हैअसीम है अक्षय
अनंत है विस्तार जिसका |
खोज रही हूँ पहुँच मार्ग
स्त्रोत तक जाने के लिए
जैसे ही पहचान लूंगी
निर्वाध गति से आगे बढूगी
अदृश्य सत्य को साकार पा
आकांक्षा पूरी करूंगी |
आशा
बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंnamaskar ji
जवाब देंहटाएंtalash jarur puri hoti he
vishwas ho to
सानिध्य की लगन
जवाब देंहटाएंलगता है स्त्रोत कल्पना का
जो हैअसीम है अक्षय
अनंत है विस्तार जिसका |
bahut hi badhiyaa
जैसे ही पहचान लूंगी
जवाब देंहटाएंनिर्वाध गति से आगे बढूगी
अदृश्य सत्य को साकार पा
आकांक्षा पूरी करूंगी |
bahut hi sunder rachna .sunder saral soch aur gahari abhivyakti.Padhkar anand aa gaya .
हर तलाश अपने अंतरमन पर आकर समाप्त होजाती है|
जवाब देंहटाएंलक्ष्य निर्धारित हो तो मंजिल जरूर मिलती है|
बहुत ही रूहानी रचना |
इतनी भावनामय तलाश ज़रूर पूरी होनी ही चाहिये ! आपकी इस तलाश में हमारी मंगलकामनायें भी सन्निहित हैं ! बहुत सुन्दर एवं सार्थक रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना.
जवाब देंहटाएंसलाम
सानिध्य की लगन
जवाब देंहटाएंलगता है स्त्रोत कल्पना का
जो हैअसीम है अक्षय
अनंत है विस्तार जिसका |
-बहुत सुन्दर.
आदरणीय आशा दी ,
जवाब देंहटाएंभावनाओं को सुन्दर विस्तार दिया है आपने । आभार!
आदरणीय आशा जी , सादर प्रणाम
जवाब देंहटाएंआपके बारे में हमें "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" पर शिखा कौशिक व शालिनी कौशिक जी द्वारा लिखे गए पोस्ट के माध्यम से जानकारी मिली, जिसका लिंक है...... http://www.upkhabar.in/2011/03/jay-ho-part-2.html
इस ब्लॉग की परिकल्पना हमने एक भारतीय ब्लॉग परिवार के रूप में की है. हम चाहते है की इस परिवार से प्रत्येक वह भारतीय जुड़े जिसे अपने देश के प्रति प्रेम, समाज को एक नजरिये से देखने की चाहत, हिन्दू-मुस्लिम न होकर पहले वह भारतीय हो, जिसे खुद को हिन्दुस्तानी कहने पर गर्व हो, जो इंसानियत धर्म को मानता हो. और जो अन्याय, जुल्म की खिलाफत करना जानता हो, जो विवादित बातों से परे हो, जो दूसरी की भावनाओ का सम्मान करना जानता हो.
और इस परिवार में दोस्त, भाई,बहन, माँ, बेटी जैसे मर्यादित रिश्तो का मान रख सके.
धार्मिक विवादों से परे एक ऐसा परिवार जिसमे आत्मिक लगाव हो..........
मैं इस बृहद परिवार का एक छोटा सा सदस्य आपको निमंत्रण देने आया हूँ. आपसे अनुरोध है कि इस परिवार को अपना आशीर्वाद व सहयोग देने के लिए follower व लेखक बन कर हमारा मान बढ़ाएं...साथ ही मार्गदर्शन करें.
आपकी प्रतीक्षा में...........
हरीश सिंह
संस्थापक/संयोजक -- "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" www.upkhabar.in/
एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
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