09 मार्च, 2011

तलाश


खोने लगी हूँ सपनों की दुनिया में
अपने आप में अदृश्य की तलाश में
कल्पना सजग हुई है
मन का कौना तलाशती है |
हो एक अज्ञात कल्पना
स्वप्न लोक का हो विस्तार
आस पास बुने जाल में
हो छिपी भावनाओं का स्पन्दन |
अदृश्य अहसास की छुअन
सानिध्य की लगन
लगता है स्त्रोत कल्पना का
जो हैअसीम है अक्षय
अनंत है विस्तार जिसका |
खोज रही हूँ पहुँच मार्ग
स्त्रोत तक जाने के लिए
जैसे ही पहचान लूंगी
निर्वाध गति से आगे बढूगी
अदृश्य सत्य को साकार पा
आकांक्षा पूरी करूंगी |

आशा





11 टिप्‍पणियां:

  1. सानिध्य की लगन
    लगता है स्त्रोत कल्पना का
    जो हैअसीम है अक्षय
    अनंत है विस्तार जिसका |
    bahut hi badhiyaa

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  2. जैसे ही पहचान लूंगी
    निर्वाध गति से आगे बढूगी
    अदृश्य सत्य को साकार पा
    आकांक्षा पूरी करूंगी |

    bahut hi sunder rachna .sunder saral soch aur gahari abhivyakti.Padhkar anand aa gaya .

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  3. हर तलाश अपने अंतरमन पर आकर समाप्त होजाती है|
    लक्ष्य निर्धारित हो तो मंजिल जरूर मिलती है|
    बहुत ही रूहानी रचना |

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  4. इतनी भावनामय तलाश ज़रूर पूरी होनी ही चाहिये ! आपकी इस तलाश में हमारी मंगलकामनायें भी सन्निहित हैं ! बहुत सुन्दर एवं सार्थक रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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  5. सानिध्य की लगन
    लगता है स्त्रोत कल्पना का
    जो हैअसीम है अक्षय
    अनंत है विस्तार जिसका |

    -बहुत सुन्दर.

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  6. आदरणीय आशा दी ,
    भावनाओं को सुन्दर विस्तार दिया है आपने । आभार!

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  7. आदरणीय आशा जी , सादर प्रणाम

    आपके बारे में हमें "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" पर शिखा कौशिक व शालिनी कौशिक जी द्वारा लिखे गए पोस्ट के माध्यम से जानकारी मिली, जिसका लिंक है...... http://www.upkhabar.in/2011/03/jay-ho-part-2.html

    इस ब्लॉग की परिकल्पना हमने एक भारतीय ब्लॉग परिवार के रूप में की है. हम चाहते है की इस परिवार से प्रत्येक वह भारतीय जुड़े जिसे अपने देश के प्रति प्रेम, समाज को एक नजरिये से देखने की चाहत, हिन्दू-मुस्लिम न होकर पहले वह भारतीय हो, जिसे खुद को हिन्दुस्तानी कहने पर गर्व हो, जो इंसानियत धर्म को मानता हो. और जो अन्याय, जुल्म की खिलाफत करना जानता हो, जो विवादित बातों से परे हो, जो दूसरी की भावनाओ का सम्मान करना जानता हो.

    और इस परिवार में दोस्त, भाई,बहन, माँ, बेटी जैसे मर्यादित रिश्तो का मान रख सके.

    धार्मिक विवादों से परे एक ऐसा परिवार जिसमे आत्मिक लगाव हो..........

    मैं इस बृहद परिवार का एक छोटा सा सदस्य आपको निमंत्रण देने आया हूँ. आपसे अनुरोध है कि इस परिवार को अपना आशीर्वाद व सहयोग देने के लिए follower व लेखक बन कर हमारा मान बढ़ाएं...साथ ही मार्गदर्शन करें.


    आपकी प्रतीक्षा में...........

    हरीश सिंह


    संस्थापक/संयोजक -- "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" www.upkhabar.in/

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  8. एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब

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