प्रकृती के आँचल में
जहाँ कई प्राणी आश्रय लिये थे
था एक सुरम्य सरोवर
रहता था जिस के समीप
श्याम वर्ण सारस का जोड़ा |
लंबा कद लालिमा लिये सर
ओर लम्बी सुन्दर ग्रीवा
सदा साथ रहते थे
कभी जुदा ना होते थे |
नैसर्गिक प्रेम था उनमें
जो मनुष्य में लुप्त हो रहा
वे स्वप्नों में जीते थे
सदा प्रसन्न रहते थे |
एक सरोवर से अन्य तक
उड़ना और लौट कर आना
अपनी भाषा में ऊंचे स्वर में
इक दूजे से बतियाना
था यही जीवन उनका |
प्रेमालाप भी होता था
पास आ कर
एक दूसरे की ग्रीवा सहला कर
बड़े प्रसन्न होते थे |
उनका चलना ,उनका उड़ना
जल में चोंच डाल
आहार खोजना
मनभावन दृश्य होता था |
जिसने भी देखे ये क्रिया कलाप
उसने ही सराहा प्यार के अनोखे अंदाज को
कुछ तो ऐसे भी थे
उनके प्यार की मिसाल देते थे |
समय के क्रूर हाथों ने
इस प्यार को ना समझ पाया
क्षुधा पूर्ति हेतु
किसी ने एक को अपना शिकार बनाया |
दूसरा सारस उदास हुआ
जल त्यागा
भोजन भी त्यागा
क्रंदन करता इधर उधर भटका |
जिसने भी यह हालत देखी
सोचा कितना
क्रूर होगा वह
जिसने इसे बिछोह दिया
थी जहां पहले खुशी
अब थी व्यथा ही व्यथा |
एक सुबह लोगों ने देखा
वह भी दम तोड़ चुका था
चारों ओर सन्नाटा था
सारस युगल अब ना था
पर यादें उनकी बाकी थीं |
आशा
आदरणीय आशा माँ
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
कोमल भावों की शानदार कविता ने मन मोह लिया.
बहुत सुन्दर कविता..........दिल को आनन्दित करती हुई पंक्तियाँ!
आप से अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलती है बहुत सुंदर
एक सुबह लोगों ने देखा
जवाब देंहटाएंवह भी दम तोड़ चुका था
चारों ओर सन्नाटा था
सारस उगल अब ना था
पर यादें उनकी बाकी थीं |
bahut marmik
bahut hee marmik chitran.....
जवाब देंहटाएंआदरणीय आशा जी ,
जवाब देंहटाएंमर्म को छू गयी , आँखों को नम कर गयी आपकी रचना |
सारस के के जोड़े में अद्भुत प्रेम होता है , यह दृश्य मैंने भी देखा है | एक के मरने पर दूसरे ने तड़फ -तड़फ कर जान दे दी |
काश ऐसा ही प्रेम इंसान में भी होता !
दर्दभरी कथा ! मानव से इतनी संवेदनशीलता की अपेक्षा भी अब समाप्त होती जा रही है ! सृष्टि का सबसे बुद्दिमान प्राणी समझा जाने वाला मानव ही सबसे अधिक अमानवीयता एवं हृदयहीनता के प्रमाण देता रहता है ! मार्मिक रहना !
जवाब देंहटाएंकल "शनिवासरीय चर्चा" में आपके ब्लाग की "स्पेशल काव्यमयी चर्चा" की जा रही है...आप आये और अपने सुंदर पोस्टों की सुंदर काव्यमयी चर्चा देखे और अपने सुझावों से अवगत कराये......at http://charchamanch.blogspot.com/
जवाब देंहटाएं(16.04.2011)
बहुत ही मार्मिक रचना
जवाब देंहटाएंहर जीव से प्यार करना चाहिए। आपने रचना के माध्यम से उत्तम संदेश दिया है।
जवाब देंहटाएंसदा साथ रहते थे
जवाब देंहटाएंकभी जुदा ना होते थे |
नैसर्गिक प्रेम था उनमें
जो मनुष्य में लुप्त हो रहा
आदरणीया आशा जी यों तो आप ने देखा ही है की हम इस समाज के दर्द- व्यथा -पीड़ा -से भरे हैं मेरी कविताये अधिकतर आग ह्रदय में समेटे रहती हैं पर कभी कभी हम आप की रमणीय प्रकृति में आ कुछ पल बिता लेते हैं ,मन को न जाने इस देश में और कब ,कहाँ शांति मिल पाए इसलिए ,
बहुत सुन्दर आप की रचनाएँ ,मन को छू जाती हैं मन कहे तो अपना सुझाव व् समर्थन हमें भी दें
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५