04 मई, 2011

वह अपना नहीं रहा


यह दूरी यह अलगाव
और बेगानापन
रास नहीं आता
कड़वाहट बढते ही
मन उद्वेलित हो जाता |
आस्था का दामन
दाग दार होता
तार तार हो छूटता नजर आता
ज्वार भावनाओं का
थमता नज़र नहीं आता |
यह रूखापन इतनी बेध्यानी
कठोरता चहरे पर
मन छलनी कर जाता
कटु वचन और मन मानी
गहरा घाव कहीं दे जाती |
पूर्णरूपेण विश्वास किया
क्या गलत किया
विचार जब भी मन में आता
इष्ट पहुँच से
बहुत दूर नजर आता |
क्या किसी और ने विलमां लिया
भटका दिया
उससे बाँट कर जीने में
कोई सार नजर नहीं आता |
रात और गहरा जाती है
पलकें बंद होते ही
वही भोला बेदाग़ चेहरा
नजर आता है
पर जब वह कहीं लुप्त हो जाता है
एक ही विचार मन में आता है
वह अपना नहीं रहा
बेगाना हो गया है |

आशा




13 टिप्‍पणियां:

  1. MAM MAN KI PIDA PARDARSIT KARTI EK GAHAN RACHNA. . . . . . . . . . . . . . . JAI HIND JAI BHARAT

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  2. क्या किसी और ने विलमां लिया

    भटका दिया

    उससे बाँट कर जीने में

    कोई सार नज़र नहीं आता |

    ...............................भावपूर्ण ,सुन्दर रचना

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  3. पर जब वह कहीं लुप्त हो जाता है
    एक ही विचार मन में आता है
    वह अपना नहीं रहा
    बेगाना हो गया है |

    यही तो जिंदगी ..... जब खो जाती है तो याद आती है
    मोहसिन रिक्शावाला
    आज कल व्यस्त हू -- I'm so busy now a days-रिमझिम

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  4. बहुत खूबसूरत रचना ............शुभकामनाएं.....

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  5. पलकें बंद होते ही
    वही भोला बेदाग़ चेहरा
    नजर आता है
    पर जब वह कहीं लुप्त हो जाता है
    एक ही विचार मन में आता है
    वह अपना नहीं रहा
    बेगाना हो गया है |....

    बहुत मार्मिक प्रस्तुति..अंतस को गहराई तक छू जाती है..बहुत सुन्दर

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  6. बहुत सुन्दर रचना ! किसीके खो जाने का अहसास कितना पीड़ादायी होता है यह विचार ही उद्वेलित कर जाता है ! मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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  8. बहुत अच्छी लगी आपकी यह कविता.

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  9. पर जब वह कहीं लुप्त हो जाता है
    एक ही विचार मन में आता है
    वह अपना नहीं रहा
    बेगाना हो गया है |


    खूबसूरत पंक्तियां...

    जवाब देंहटाएं
  10. उदास मन की संवेदनशील अभिव्यक्ति ....!!
    कोमल एहसास ....!!

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