06 मई, 2011

प्यारी माँ



तुझ से लिपट कर सोने में
जो सुकून मिलता था
तेरी थपकियों का जो प्रभाव होता था
वह अब कहाँ |
जब बहुत भूख सताती थी
सहन नहीं कर पाती थी
तब रोटी में नमक लगा
पपुआ बना
जल्दी से खिलाती थी
मेरा सर सहलाती थी |
वह छुअन वह ममता
अब
कहाँ |
जब स्कूल से आती हूँ
बेहाल थकी होती हूँ
कुछ खाने का सोचती भी हूँ
पर मन नहीं होता
तेरे हाथों से बने खाने का
अब स्वाद कहाँ |
जब भी शैतानी करती थी
तू कान गरम करती थी
आज भी यदि गलती हो
जल्दी से हाथ कान तक जाए
पर तेरे हाथों का स्पर्श
अब कहाँ |
तू बसी है मन के हर कौने में
मुझ से दूर गयी तो क्या
तेरी दुआ ही है संबल मेरा
माँ होने का अहसास क्या होता है
मैं माँ हो कर ही जान पाई
तेरी कठिन तपस्या का
मोल पहचान पाई
पर अब क्या |
तूने कितने कष्ट सहे
मुझे बड़ा करने में
मेरा व्यक्तित्व निखारने में
आज बस सोच ही पाती हूँ
वे दिन अब कहाँ |

आशा





13 टिप्‍पणियां:

  1. MAM APKI YE RACHNA BAHUT HI PYARI HAI. . . MAA KO KOTI KOTI NAMAN. . , JAI HIND JAI BHARAT

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  2. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार
    माँ शब्द में ही
    एक अदृश्य शक्ति होती है
    माँ कहते हीमाँ से बढ़कर कोई नहीं इस दुनिया में
    बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!

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  3. बस माँ का आशिर्वाद हमेशा बना रहे यही दुआ रहती है…………सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  4. सुश्री आशा जी
    आपकी रचना ह्रदय के बहुत पास है
    मन को छूती है .मातृदिवस पर बधाई
    मै भी उज्जैन के पास आगर का मूल निवासी हूँ
    व माधव कालेज उज्जैन में पढ़ा हूँ
    आपकी कवितायेँ अच्छी लगती है
    घोटू

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  5. माँ होने का अहसास क्या होता है
    मैं माँ हो कर ही जान पाई
    तूने कितने कष्ट सहे
    मुझे बड़ा करने में
    मेरा व्यक्तित्व निखारने में
    आज बस सोच ही पाती हूँ
    वे दिन अब कहाँ |bahut bhaavpoorn rachna.aankho ke saamne apne beete din laot aaye.aasha ji is komal rachna ke liye aabhar.pls visit my blog achcha lage to utsaah vardhan karen.

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  6. बस माँ का आशिर्वाद हमेशा बना रहे|बहुत सुन्दर रचना| धन्यवाद|

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  7. तुझ से लिपट कर सोने में
    जो सुकून मिलता था
    तेरी थपकियों का जो प्रभाव होता था
    वह अब कहाँ |
    जब बहुत भूख सताती थी
    सहन नहीं कर पाती थी
    ..माँ जी ! बचपन की याद ताजी कर दी आपने .... हर किसी पर माँ की छत्र छाया बनी रही यही कामना है....
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...आभार

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  8. मातृ दिवस की बधाई । माँ होने का अहसास क्या होता है
    मैं माँ हो कर ही जान पाई|सुन्दर भाव है|बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...आभार

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  9. तुझ से लिपट कर सोने में
    जो सुकून मिलता था
    तेरी थपकियों का जो प्रभाव होता था
    वह अब कहाँ |
    जब बहुत भूख सताती थी
    सहन नहीं कर पाती थी
    तब रोटी में नमक लगा
    पपुआ बना
    जल्दी से खिलाती थी
    माँ से कीमती दुनिया मैं कुछ नहीं होता /उसके आँचल की छावं मैं ही दुनिया के सारे सुख छिपे हुए हैं./आँखों को गमगीन करने वाली अनूठी रचना /बधाई आपको
    मेरे ब्लॉग पर भी आइये/और मेरा मार्ग दर्शन करने के लिए सन्देश दीजिये /

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  10. बहुत मनमोहिनी रचना ! मुझे बड़ी खुशी है यह सुख हम दोनों ने एक ही आँचल की छाँव तले साथ-साथ बाँटा है ! बचपन के ना जाने कितने हसीन लम्हे आँखों के सामने से स्लाइड शो की तरह गुज़र गये ! बहुत भावभीनी अभिव्यक्ति !

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  11. माँ का नाम, माँ का साथ सब कुछ संबल और सुरक्षा देने वाला ही होता है..... बहुत भावपूर्ण रचना

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  12. ह्रदय तक सीधी पहुँचती है आपकी भावपूर्ण सुन्दर रचना ...

    माँ तो माँ ही होती है ......

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  13. मन माँ के प्यार भरे स्पर्श के लिये जिंदगी भर तरसता रहता है |

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