08 मई, 2011

भावना असुरक्षा की


है बेचैन असुरक्षित
अपनी राह तलाश रही
जीवन की शाम के
लिए आशियाना खोज रही |
अपनों ने किनारा किया
बोझ उसे समझा
बेगानों में अपने पन का
अहसास तलाश रही |
क्या कुछ नहीं किया उसने
उन सब के लिए
जो आज भुला बैठे उसे
अपने में ही व्यस्त हुए |
आज भी याद है उसे
कैसे उन्हें पाला पोसा
खुद ने कठिनाई झेली
पर उनकी प्रगति नहीं रोकी |
आज वही उसे छोड़ गए
वृद्ध आश्रम के कौने में
असुरक्षा की भावना
मन में समा गयी है |
ना कभी ममता जागी
ना ही उसके कष्टों पर
मन में कभी मलाल आया
अपने ही घर के लिए
वह पराई हो गयी |
आज मातृ दिवस मनाया तो क्या
जाने कितनी माँ हैं ऐसी
जो स्नेह से हैं वंचित
इस संवेदन शून्य दुनिया में
भरी हुई असुरक्षा से
जूझ रही हैं जिंदगी से |


आशा


20 टिप्‍पणियां:

  1. 'आज मातृ दिवस मनाया तो क्या

    जाने कितनी माँ हैं ऐसी

    जो स्नेह से हैं वंचित

    इस संवेदन शून्य दुनिया में

    भरी हुई असुरक्षा से

    जूझ रही हैं जिंदगी से '

    .........................यथार्थ का भावपूर्ण चित्रण

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  2. समाज के निर्मम यथार्थ से भरी ये कड़वी सचाइयाँ मन को व्यथित कर जाती हैं ! बच्चे अपने वृद्ध माता पिता के प्रति इतने निर्दय और कठोर कैसे हो सकते हैं जिन्होंने जीवन भर उन्हें कलेजे से लगा कर रखा !
    बहुत दुःख होता है यह सब देख कर !

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  3. बहुत दुःख होता है यह सब देख कर|यथार्थ का भावपूर्ण चित्रण|

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  4. जाने कितनी माँ हैं ऐसी
    जो स्नेह से हैं वंचित
    इस संवेदन शून्य दुनिया में
    भरी हुई असुरक्षा से
    जूझ रही हैं जिंदगी से |
    sach kaha

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  5. आज मातृ दिवस मनाया तो क्या
    जाने कितनी माँ हैं ऐसी
    जो स्नेह से हैं वंचित
    इस संवेदन शून्य दुनिया में
    भरी हुई असुरक्षा से
    जूझ रही हैं जिंदगी से |
    .. माँ जी! एकदम मन की बात कही आपने . .हमारे आस पास हम सभी न जाने कितने ही ऐसी माओं को देख बहुत दुःख होता है, लेकिन मुझे अच्छा लगता है यदि मैं ऐसे लोगों के जरा भी काम आती हूँ कभी ... आखिर सोचती हो यदि सभी थोडा थोडा सोचकर कुछ न कुछ करें तो कितना अच्छा होगा, है न!
    सार्थक प्रस्तुति और मातृ दिवस के अवसर पर प्रणाम स्वीकारें ..

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  6. MAM IS KAVITA NE DIL KO JHAKJHOR KAR RAKH DIYA. . . . . . . . PTA NAHI KYUN VARDH LOG APNE BETO KO BOJH LAGNE LAGTE HAIN, WO YE NAI SOCHTE KI UNHONE HI UNKO JANM DIYA OR PALA POSHA. SHARM ANI CHAHIYE. . . HAPPY MOTHERS DAY. . . . . JAI HIND JAI BHARAT

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  7. बहुत अच्‍छी रचना।
    आशा जी, जैसे जैसे हम शिक्षित होते जा रहे हैं... वृध्‍दाश्रमों की संख्‍या बढती जा रही है.... इस विकास को रोकना होगा

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  8. Asha ji is bhaav poorn yatharth ka chitran karti hui kavita ke liye dheron badhaai.samaj ki is kureeti ko hume hi rokna hoga. mata pita ko bachchon ko pahla paath yahi se shuru karna hoga.badon ka snmaan ,vradhdhon ki seva ye pahle vishay hone chahiye.tabhi hum achchi peedhi ki kalpana kar sakenge.

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  9. कडवी सच्चाई को कहती मर्मस्पर्शी रचना

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  10. क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ. आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें

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  11. इस संवेदन शून्य दुनिया में
    भरी हुई असुरक्षा से
    जूझ रही हैं जिंदगी से |
    आशा जी आज रिश्तों की अहमियत केवल एक दिन उन्हें याद करने तक ही रह गयी है। अच्छा सन्देश देती रचना। शुभकामनायें।

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  12. जाने कितनी माँ हैं ऐसी
    जो स्नेह से हैं वंचित
    इस संवेदन शून्य दुनिया में
    भरी हुई असुरक्षा से
    जूझ रही हैं जिंदगी से |...
    मार्मिक !

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  13. रचना में छुपे दर्द को बाखूबी लिखा है आपने ... सच है मात्र दिवस मनाना ही नही सार्थककता तो जब है जब एक भी माँ खुश हो सके इस दिन ...

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  14. आज मातृ दिवस मनाया तो क्या
    जाने कितनी माँ हैं ऐसी
    जो स्नेह से हैं वंचित
    इस संवेदन शून्य दुनिया में
    भरी हुई असुरक्षा से
    जूझ रही हैं जिंदगी से |bahut sunder rachanaa dil ko chunewali.kyon insaan bhawanaarahit ho jaata hai aur apne bujurgon ko akelepan ki trashdi jhelane ke liye chodh detaa hai.badhaai aapko

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  15. आज मातृ दिवस मनाया तो क्या
    जाने कितनी माँ हैं ऐसी
    जो स्नेह से हैं वंचित
    इस संवेदन शून्य दुनिया में
    भरी हुई असुरक्षा से
    जूझ रही हैं जिंदगी से …..दिल छूती पंक्तियाँ…..बहुत- बहुत बधाई \

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  16. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार
    ......अच्छा सन्देश देती रचना।

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  17. आप सब को मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार |इसी प्रकार स्नेह बनाए रखिये |
    आशा

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  18. माँ तो माँ होती है ,
    दुःख सहकर भी सुख देती है |
    जीवन की कड़ी धूप में ,
    अपनें आँचल की छाँव देती है |
    पालन पोषण करनें वाली ,
    माँ को वृद्धाश्रम में क्यों छोड़ जाते हैं लोग़ ?
    कटुसत्य दर्शाती रचना |

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