24 मई, 2011

प्रेम ही जीवन है


चाहे जहां जाते हो

इधर उधर भटकते हो

जब स्थाईत्व नहीं होगा

सुकून कहाँ से पाओगे |

जिंदगी क्षण भंगुर है

उसका कोई ठिकाना नहीं

बिना प्रेम अधूरी है

यह कैसे समझ पाओगे |

मेरे पास आओ कुछ पल ठहरो

दो बोल प्यार के बोलो

मन में छिपी भावना को

पूर्ण रूप से स्वीकार करो |

मन का बोझ हल्का होगा

फिर भी मन यदि ना माने

और बेचैनी बढ़ जाए

चाहे जहां चले जाना |

पुरानी कटु बातों को

दोहराने से क्या लाभ

जब उन पर ध्यान नहीं दोगे

वे विस्मृत होती जाएँगी |

मीठी यादों में जब खो जाओगे

शान्ति का अनुभव करोगे

संसार बहुत सुंदर लगेगा

पराया भी अपना लगेगा |

प्रेम ही तो जीवन है

जब शांत चित्त से सोचोगे

स्थिर मन हो जाओगे

फिर इसे ना भूल पाओगे |

जिंदगी आनंद से भरपूर होगी

पूर्ण प्रेम की अनुभूति होगी

एक नई कहानी बनेगी |

आशा

10 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार
    .................दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

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  2. मन की कलुषता को भूलकर प्रेम के आगोश में आओ, फिर सब कुछ अच्छा लगने लगेगा ।
    सुन्दर सन्देशपूर्ण अभिव्यक्ति...

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  3. प्रेम ही तो जीवन है

    जब शांत चित्त से सोचोगे

    स्थिर मन हो जाओगे

    फिर इसे ना भूल पाओगे |

    सुन्दर, सकारात्मक एवं सार्थक संदेश देती बहुत सशक्त रचना ! बहुत बढ़िया लिखा है ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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  4. जब शांत चित्त से सोचोगे

    स्थिर मन हो जाओगे

    फिर इसे ना भूल पाओगे |

    जिंदगी आनंद से भरपूर होगी

    पूर्ण प्रेम की अनुभूति होगी

    एक नई कहानी बनेगी |

    सार्थक सन्देश देती अच्छी रचना

    जवाब देंहटाएं
  5. "एक नई कहानी बनेगी |

    आशा "

    इस आशावादी काव्य लेखन हेतु आपको बहुत-बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं

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