इस बेरंग उदास जिंदगी में
तुम बहार बन कर आए
काली घटाएं जब छाईं
स्नेह की फुहार बन कर आए |
रास्ता भूली भटक गयी
गंतव्य तक ना पहुँची
तभी सही मार्ग दर्शन दिया
मेरी राह बन कर आए |
इस सूखी बंजर भूमि पर
बहुत थी वीरानगी
नए पौधे लगाए
हरियाली बन कर छाए |
अब सजने लगे सपने
कई लगने लगे अपने
आसपास बने झूठे आवरण से
बाहर मुझे निकाल पाए |
नैराश्य भरे जीवन में
कुछ इस तरह छाए
जैसे किसी सरोवर में
कई कमल खिलाए |
इस बेरंग जीवन में
जब सब से दूर रही
अवसाद ने जड़ें जमाईं
मेरे लिए मनुहार बन कर आए |
मैं हूँ बहुत खुश
आज की स्थिती के लिए
कहीं जाने की बात ना करना
कहीं मेरा भरम टूट ना जाए |
आशा
कोई भरोसा नहीं इस भ्रम का,
जवाब देंहटाएंhr bar naa ummidi me umid ki kiran btaati bhtrin kvitaa mubark ho aashaavaad ki aashaa ji dhnyvad..akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंहमारी भी यही दुआ है कि यह भरम ना टूटे ! बहुत भावपूर्ण कोमल सी रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंa very soft and delicate piece of writing.
जवाब देंहटाएंAnd yeah we all live in a kind of self-created illusion and thing is we never want to come out of it :)
आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएंचिट्ठे आपके , चर्चा हमारी
bahut umda rachna Asha ji...madhur agrah se bhara hua..
जवाब देंहटाएंभरम ना टूटे ! बहुत भावपूर्ण रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंजैसे किसी सरोवर में
जवाब देंहटाएंकई कमाल खिलाए
बहुत सुन्दर रचना बस इस लाइन में एक भूल हुई है कमल की जगह कमाल हो गया है , इसे ठीक करिए बाकि बहुत सुन्दर रचना है आप बहुत सुन्दर लिखती हैं
मीनाक्षी जी आप ब्लॉग पर आईं बहुत अच्छा लगा |त्रुटि सुधरवाने के लिए बहुत बहुत आभार|
जवाब देंहटाएंआशा
BAHUT PYARI KAVITA. . . . .
जवाब देंहटाएंJAI HIND JAI BHARAT
कहीं जाने की बात ना करना
जवाब देंहटाएंकहीं मेरा भरम टूट ना जाए |
ummeed ki duniya hai
ummeed pe tiki hai
bahut hi sunderta se rishte ki rooprekha rach di hai
itne prem bhare shabdon mein bandhegi to koi kabhi nahi jayega chhod kar Asha ji
:)
इस सूखी बंजर भूमि पर
जवाब देंहटाएंबहुत थी वीरानगी
नए पौधे लगाए
हरियाली बन कर छाए
सुन्दर रचना
ladkiya kabhi kabhi bhram mai zindgi jiti hai
जवाब देंहटाएंaur yahi bhram tut jaye to ansu behtey hain