चितचोर बना मोर
पंख फैला थिरकता |
रंगों की छटा देखता
मन में समाया है |
ये मधुर स्वर सुन
कानों में गूंजती धुन |
जब स्वर पास आया
और पास लाया है |
है अद्भुद रूप तेरा
आकर्षित करता है |
अपने जादू से तूने
सब को लुभाया है |
काकुल चहरे पर
आ छु गयी इस भांति
काली घटा देख कर
चंद्र शरमाया है |
अपने जादू से तूने
सब को लुभाया है |
काकुल चहरे पर
आ छु गयी इस भांति
काली घटा देख कर
चंद्र शरमाया है |
मधुर मुस्कान भरी
ऐसी प्यारी छवि तेरी |
देखी सुंदरता तेरी
चाँद भी लजाया है |
आशा
आशा जी, बहुत प्यारी कविता लिखी है,
जवाब देंहटाएंश्रृंगार रस से भरपूर ...मनमोहक कविता ...!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ..!!
सुन्दर रूप वर्णन ! अनुराग रस से परिपूर्ण एक बहुत ही कोमल रचना ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंमधुर मुस्कान भरी
जवाब देंहटाएंऐसी प्यारी छवि तेरी |
देख सुंदरता तेरी
चाँद भी लजाया है |
mann ko lubhati rachna
bahut manmohak pyaari kavita.
जवाब देंहटाएंmanmohak...
जवाब देंहटाएंdil ko chhuti hui rachna.....
खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंlast verse is super-beautiful !!
जवाब देंहटाएंbahut pyari kavita likhi hai.............. jai hind jai bharat
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