26 जून, 2011

यदि चाहत हो कुछ करने की


यदि चाहत हो कुछ करने की

हर बार सफल रहने की

फिर भी करना मनमानी

उचित नहीं लगता

कुछ भी हाथ नहीं आएगा

समय पंख लगा उड़ जाएगा |

जिसने भी की मनमानी

अपनी जिद को सर्वोपरी समझा

असफलता की सीड़ी पर

चढता गया फिर मुड़ न सका

उम्र भी निकल गई

सिवाय पछतावे के
कुछ भी हाथ नहीं आया |

आशा

11 टिप्‍पणियां:

  1. व्यावहारिक शिक्षा देती एक सार्थक रचना ! बहुत खूब ! सभीको इससे सबक लेना चाहिये ! बधाई !

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  2. Rigidity kills .Flexibility of thought and attitudes is enrichment .

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  3. सच में अगर चाहत हो तो हम कुछ भी कर सकते हैं...
    सकारात्मक सोच देती रचना...

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  4. आपकी रचनाएँ पढ़ कर बहुत अच्छा लगता है ...!!
    सीख से भरी हुई ...उम्र का निचोड़ है ...!!
    बहुत सुंदर रचना ..

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  5. अच्छी रचना mere blog me bhi se bhi update rahe yaha se aaye mere blog mehame bhi apni raay de

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  6. कोमलता से सीख देती आपकी रचनाये पढ़ते ही मन खुश हो जाता है आपके सादगी भरे लेखन को अभिवादन

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  7. बहुत सुंदर रचना,सकारात्मक सोच, मन खुश हो जाता है पढ़ते ही ..

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