26 जून, 2011

इसी तरह जी लेंगे


जब से तेरी तस्वीर सीने से लगाई है

दिल पर अधिकार न रहा

उसकी धडकन कभी धीमीं

तो कभी तेज हो जाती है

तस्वीर कभी रंगीन तो कभी रंग हीन

नजर आती है |

उससे निकली आवाज कभी ताल में

तो कभी बेताल हो जाती है

यह कहीं मेरे अंतर्मन में उठते

विचारों का सैलाव तो नहीं

जो मुझे बहा ले जाता है |

जब भी मैं खुश होता हूँ

उस पर भी खुशी झलकती है

देख कर मेरी उदासी

वह गम के साये में खो जाती है

बहुत उदास नजर आती है |

तू जाने किस अन्धकार में खो गई

पर मन में इस तरह बस गई

जहां भी नजर पडती है

तेरी याद आ जाती है

दिल की धड़कन बढ़ जाती है

यह कहीं मेरा भ्रम तो नहीं

तू जीती जागती

सजीव नजर आती है |

ऐसे ही अगर जीना है

हम यह भी सह लेंगे

कोई गिला शिकवा न करेंगे

किसी सहारे की दरकार नहीं है

बस इसी तरह जी लेंगे |

आशा

9 टिप्‍पणियां:

  1. दिल की कसक को बखूबी बयां करती संवेदी पोस्ट.

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  2. दिल पर अधिकार न रहा

    उसकी धडकन कभी धीमीं

    तो कभी तेज हो जाती है

    तस्वीर कभी रंगीन तो कभी रंग हीन

    नजर आती है |

    दिल की कशमकश को बड़ी संजीदगी से बयाँ किया है.

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  3. बस इसी तरह जी लेंगे. उत्तम भावों के साथ प्रस्तुत उत्कृष्ट रचना ।

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  4. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति....
    अच्छा लगा पढ़कर....

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  5. दर्द की बड़ी सशक्त अभिव्यक्ति की है ! मन के भावों को बखूबी संजोया है ! बधाई एवं शुभकामनायें ! सुन्दर रचना !

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  6. भावमय प्रव्स्तुति, जीने के लिये बस यही सोचना कहना पडता है--- शुभकामनायें।

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  7. आपकी रचना पढने के बाद दिल में एक हलचल सी महसूस होने लगी
    बहुत खूब

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  8. ---सुन्दर भाव....

    शिकवा गिला भी श्याम उनसे
    क्या करें कैसे करें|
    दिल तो उनके पास है
    कोई करे कैसे करे ||

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  9. इस पर अपनी गज़ल याद आ गयी उसमे से चंद शेर---
    कुछ पा लिया कुछ खो लिया
    फिर बेतहाशा रो लिया

    आँसू गिरे जब आँखो से
    तो ज़ख्म दिल का धो लिया

    फिर भी हुयी मुश्किल अगर
    आँचल मे माँ की सो लिया

    दुश्वारियों का बोझ भी
    जैसे हुया बस ढो लिया


    बेकार कर दी ज़िन्दगी
    बस खा लिया फिर सो लिया
    कहे भी किससे कोई अपना दर्द सब अपने अपने दुख सुख मे मशगूल हैं ।ाधिकतर लोग तो केवल तमाशा देखने के लिये ही होते हैं अच्छा है अपना दुख अपने तक ही रखें।

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