बोया बीज पौधा उगा
जाने कब पेड़ बन गया
कली से फूल
और फिर फल बन गया
यह परिवर्तन कब हुआ
जान नहीं पाया |
रंग बिरंगी तितली
उड़ती फिरती डाल डाल
मकरंद चुरा कर फूलों का
ले जाती जाने कहाँ
यह रंग रूप कहाँ से पाया
जान नहीं पाया |
नन्हां बच्चा
बढते बढते जाने कब
वयस्क हो गया
और फिर बूढा हुआ
परिवर्तन तो देखा
पर कैसे हुआ कब हुआ
अनुभव ही नहीं हुआ |
कब परिवर्तन होते हैं
दिन में या रात में
या सतत होते रहते हैं
प्रकृति के आँचल में
राज न जान पाया |
है यह करिश्मा प्रकृति का
या कोई निर्देश नियति का
इससे भी अनजान रहा
पर उत्सुक हूँ अवश्य
जानना चाहता हूँ
कब होती है प्रक्रिया
तिल तिल बढ़ने की |
आशा
सुन्दर रचना ..परिवर्तन तो निरंतर होते रहते हैं अबाध गति से ..
जवाब देंहटाएंati sundar !!!
जवाब देंहटाएंsundar rachana
जवाब देंहटाएंtime always gone just some memories remained
bahut hi khoobsoorat rachana.
जवाब देंहटाएंजानना चाहता हूँ
जवाब देंहटाएंकब होती है प्रक्रिया
तिल तिल बढ़ने की |
सारगर्भित रचना , बधाई
परिवर्तन की प्रक्रिया का सुंदर अंकन।
जवाब देंहटाएं---------
ब्लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
आई साइबोर्ग, नैतिकता की धज्जियाँ...
परिवर्तन ही जीवन है
जवाब देंहटाएंअपने ही घर में नवजात शिशु कब कैसे बढ़ कर अपने पिता से भी ऊँचा हो जाता है यह कोई जान ही नहीं पाता ! कब होता है यह परिवर्तन दिन में या रात में सच में कहाँ पता चल पाता है ! पकृति के रहस्यों से रू ब रू कराती सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएं