15 जून, 2011

प्रक्रिया परिवर्तन की



बोया बीज पौधा उगा

जाने कब पेड़ बन गया

कली से फूल

और फिर फल बन गया

यह परिवर्तन कब हुआ

जान नहीं पाया |

रंग बिरंगी तितली

उड़ती फिरती डाल डाल

मकरंद चुरा कर फूलों का

ले जाती जाने कहाँ

यह रंग रूप कहाँ से पाया

जान नहीं पाया |

नन्हां बच्चा

बढते बढते जाने कब

वयस्क हो गया

और फिर बूढा हुआ

परिवर्तन तो देखा

पर कैसे हुआ कब हुआ

अनुभव ही नहीं हुआ |

कब परिवर्तन होते हैं

दिन में या रात में

या सतत होते रहते हैं

प्रकृति के आँचल में

राज न जान पाया |

है यह करिश्मा प्रकृति का

या कोई निर्देश नियति का

इससे भी अनजान रहा

पर उत्सुक हूँ अवश्य

जानना चाहता हूँ

कब होती है प्रक्रिया

तिल तिल बढ़ने की |

आशा

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर रचना ..परिवर्तन तो निरंतर होते रहते हैं अबाध गति से ..

    जवाब देंहटाएं
  2. sundar rachana
    time always gone just some memories remained

    जवाब देंहटाएं
  3. जानना चाहता हूँ
    कब होती है प्रक्रिया
    तिल तिल बढ़ने की |
    सारगर्भित रचना , बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. अपने ही घर में नवजात शिशु कब कैसे बढ़ कर अपने पिता से भी ऊँचा हो जाता है यह कोई जान ही नहीं पाता ! कब होता है यह परिवर्तन दिन में या रात में सच में कहाँ पता चल पाता है ! पकृति के रहस्यों से रू ब रू कराती सुन्दर रचना !

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: