जाने कितनी रिक्तता
है आज ह्रदय में
आँखें धुंधलाने लगी हैं
बीते दिन खोजने में |
प्रति वर्ष आता रक्षा बंधन
उसे खोजती रह जाती
फिर अधिक उदास हो जाती |
भूल नहीं पाती बीता कल
जाने कब बीत गया बचपन
वह उल्लास वह उत्साह
जाने कहाँ गया |
जब रंगबिरंगी राखी की
दुकानों पर पडती नजर
याद आती हैं वे गुमटियां
जो पहले सजा करती थीं |
घंटों बीत जाते थे
एक राखी खोजने में खरीदने में
जो भैया के मन भाए
पा कर खुशी से झूम जाए |
सुबह जल्दी उठ जाती
नए कपडे पहन तैयार होती
थाली सजाती दिया लगाती
घेवर और फैनी लाती |
टीका लगा आरती करती
राखी बाँध मुंह मीठा कराती
जैसे ही वह पैर छूता
मन मयूर दुआ देता |
जब एक रुपया
उपहार मिलता
बड़े जतन से उसे सहेजती
आज यह सब कहाँ |
ना भाई है न स्नेह उसका
बस रह गयी
यादें सिमिट कर
हृदय के इक कौने में |
आशा
है आज ह्रदय में
आँखें धुंधलाने लगी हैं
बीते दिन खोजने में |
प्रति वर्ष आता रक्षा बंधन
उसे खोजती रह जाती
फिर अधिक उदास हो जाती |
भूल नहीं पाती बीता कल
जाने कब बीत गया बचपन
वह उल्लास वह उत्साह
जाने कहाँ गया |
जब रंगबिरंगी राखी की
दुकानों पर पडती नजर
याद आती हैं वे गुमटियां
जो पहले सजा करती थीं |
घंटों बीत जाते थे
एक राखी खोजने में खरीदने में
जो भैया के मन भाए
पा कर खुशी से झूम जाए |
सुबह जल्दी उठ जाती
नए कपडे पहन तैयार होती
थाली सजाती दिया लगाती
घेवर और फैनी लाती |
टीका लगा आरती करती
राखी बाँध मुंह मीठा कराती
जैसे ही वह पैर छूता
मन मयूर दुआ देता |
जब एक रुपया
उपहार मिलता
बड़े जतन से उसे सहेजती
आज यह सब कहाँ |
ना भाई है न स्नेह उसका
बस रह गयी
यादें सिमिट कर
हृदय के इक कौने में |
आशा
khoobsoorat yade bachpan ki...
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen.
अब यादें ही बाकी हैं ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदिल के एहसासों के साथ अच्छी प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंराखी का ये त्यौहार ...यादे है सबकी ...सबको दिल से मुबारक हो
एहसासों से सजी रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...
जवाब देंहटाएंमन को भिगोती और दुःख के तारों को छेड़ती मर्मस्पर्शी रचना ! दादा जहाँ हों ईश्वर की पनाह में हों यही कामना है ! यह त्यौहार हमेशा मन में अकथनीय पीड़ा और कसक लेकर आता है !
जवाब देंहटाएंयादों के झरोके से सजी .....ये सुन्दर रचना बहुत खूब .
जवाब देंहटाएंपवित्र अहसासों से भरी सुंदर रचना,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सुन्दर अहसासों से सजी प्यारी सी रचना........
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना....एक-एक शब्द भावपूर्ण ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना , बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंभूल नहीं पाती बीता कल
जवाब देंहटाएंजाने कब बीत गया बचपन
वह उल्लास वह उत्साह
जाने कहाँ गया |
जब रंगबिरंगी राखी की
दुकानों पर पडती नजर
याद आती हैं वे गुमटियां
जो पहले सजा करती थीं
..sach bachpan ke dinon kee baat hi alag hoti hai..
bahut badiya bhav liye sundar prastuti ke liye aabhar..
touching one
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