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शाम ढले उड़ती धूल
जैसे ही होता आगाज
चौपायों के आने का
सानी पानी उनका करती |
सांझ उतरते ही आँगन में
दिया बत्ती करती
और तैयारी भोजन की |
चूल्हा जलाती कंडे लगाती
लकड़ी लगाती
फुकनी से हवा देती
आवाज जिसकी
जब तब सुनाई देती |
छत के कबेलुओं से
छनछन कर आता धुंआ
देता गवाही उसकी
चौके में उपस्थिति की |
सुबह से शाम तक
घड़ी की सुई सी
निरंतर व्यस्त रहती |
किसी कार्य से पीछे न हटती
गर्म भोजन परोसती
छोटे बड़े जब सभी खा लेते
तभी स्वयं भोजन करती |
कंधे से कंधा मिला
बराबरी से हाथ बटाती
रहता सदा भाव संतुष्टि का
विचलित कभी नहीं होती |
कभी खांसती कराहती
तपती बुखार से
व्यवधान तब भी न आने देती
घर के या बाहर के काम में |
रहता यही प्रयास उसका
किसी को असुविधा न हो |
ना जाने शरीर में
कब घुन लग गया
ना कोइ दवा काम आई
ना जंतर मंतर का प्रभाव हुआ
एक दिन घर सूना हो गया
रह गयी शेष उसकी यादें |
आशा
marmik prastuti...
जवाब देंहटाएंगृहणी का सही खाका खींच दिया है ..संवेदनशील रचना
जवाब देंहटाएंहर गृहणी की कहानी कह दी ! सबका यही अंत होना है ! अपने पीछे सब यादें ही छोड़ जाते हैं ! मर्मस्पर्शी प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंआम गृहिणी के जीवन को कविता में उतार दिया!
जवाब देंहटाएंवाह री गृहिणी...कविता के माध्यम से सही शब्दों का मेल ...
जवाब देंहटाएं--
संवेदनशील रचना ....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएं-------
स्वतन्त्रता दिवस की शुभ कामनाएँ।
कल 17/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
गृहणी का सही खाका खींचती एक संवेदनशील रचना....
जवाब देंहटाएंआप को बहुत बहुत धन्यवाद की आपने मेरे ब्लॉग पे आने के लिये अपना किमती समय निकला
जवाब देंहटाएंऔर अपने विचारो से मुझे अवगत करवाया मैं आशा करता हु की आगे भी आपका योगदान मिलता रहेगा
बस आप से १ ही शिकायत है की मैं अपनी हर पोस्ट आप तक पहुचना चाहता हु पर अभी तक आप ने मेरे ब्लॉग का अनुसरण या मैं कहू की मेरे ब्लॉग के नियमित सदस्य नहीं है जो में आप से आशा करता हु की आप मेरी इस मन की समस्या का निवारण करेगे
आपका ब्लॉग साथी
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
आम गृहणी की दिन चर्या का सुन्दर वर्णन ....आभार!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक रचना |
जवाब देंहटाएंवाकई मार्मिक ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
मार्मिक अभिव्यक्ति है .... दिल में उतरती हुयी ...
जवाब देंहटाएंBahut saarthk rachna.. aabhar..
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