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माँ ने ममता से
पलकों पर बिठाया तुम को
हो तुम क्या
अहसास दिलाया तुम को |
हर पल तुम्हे याद किया
पलकों को छूते ही
अहसास तुम्हारा पा
बाहों में झुलाया तुमको |
जब बाहर पैर रखा
अपना अस्तित्व खोजा
तुमने पलट कर न देखा
कुछ जानना न चाहा |
यह बेरुखी ऐसा व्यवहार
ह्रदय में गहरे जख्म कर गया
तुम नहीं जानतीं
तुमने कितना रुलाया उसको |
उसूलों पर खरी नहीं उतरीं
ना ही कभी सोचा
होती है ममता क्या
और उसकी अपेक्षाएं क्या ?
उसके मन की पीड़ा को
अभी न जान पाओगी ,
समझोगी तब ,
जब स्वयं माँ बनोगी |
आशा
माँ की ममता को शब्द देती अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही भाव भीनी कविता |
जवाब देंहटाएंसचमुच माँ की ममता क्या होती है इसका मोल स्वयं माँ बन जाने के बाद ही पता चलता है ! बहुत सुन्दर रचना ! बधाई !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति...दिल को छू गई...ईद मुबारक़
जवाब देंहटाएंवाह अद्भुत है माँ की ये ममता
जवाब देंहटाएंअत्यंत सार्थक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
सच में अद्भुत होती है माँ की ममता........
जवाब देंहटाएंमाँ की ममता को शत शत नमन....बहुत सुन्दर रचना...सादर !!!
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