अपने हृदय की बात उसने ,
इस तरह सब से कही |
सैलाब उमढ़ा हर तरफ से ,
मंच की प्रभुता रही |
ऊंचाई कोइ छू न पाया ,
आचरण ऐसा किया |
सम्मोहनात्मक भावनाओं से ,
भरम डिगने ना दिया |
अपनी बातों पर अडिग रहा ,
अहिंसा पर जोर दिया |
आशा
इस तरह सब से कही |
सैलाब उमढ़ा हर तरफ से ,
मंच की प्रभुता रही |
ऊंचाई कोइ छू न पाया ,
आचरण ऐसा किया |
सम्मोहनात्मक भावनाओं से ,
भरम डिगने ना दिया |
अपनी बातों पर अडिग रहा ,
अहिंसा पर जोर दिया |
आशा
आदरणीय आशा माँ
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
बहुत बहुत सुन्दर और गहरी अभिव्यक्ति.
sundar kavita...
जवाब देंहटाएंअन्ना जी को बहुत सुन्दर शब्दों में भाव सुमन अर्पित किये हैं ! बहुत प्यारी रचना !
जवाब देंहटाएंbahut pyari lagi......
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व् सही भावाभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंन छोड़ते हैं साथ कभी सच्चे मददगार.
अन्ना जी को सुन्दर शब्दों में भाव सुमन अर्पितकरते हुए एक प्यारी सी सुन्दर रचना !आभार...
जवाब देंहटाएंआपने अन्ना जी को सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई....