30 अगस्त, 2011

श्री अन्ना हजारे


अपने हृदय की बात उसने ,
इस तरह सब से कही |
सैलाब उमढ़ा हर तरफ से ,
मंच की प्रभुता रही |
ऊंचाई कोइ छू न पाया ,
आचरण ऐसा किया |
सम्मोहनात्मक भावनाओं से ,
भरम डिगने ना दिया |
अपनी बातों पर अडिग रहा ,
अहिंसा पर जोर दिया |

आशा



7 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    बहुत बहुत सुन्दर और गहरी अभिव्यक्ति.

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  2. अन्ना जी को बहुत सुन्दर शब्दों में भाव सुमन अर्पित किये हैं ! बहुत प्यारी रचना !

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  3. अन्ना जी को सुन्दर शब्दों में भाव सुमन अर्पितकरते हुए एक प्यारी सी सुन्दर रचना !आभार...

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  4. आपने अन्ना जी को सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है...
    सादर बधाई....

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