20 सितंबर, 2011

ताज महल


उस दिन एक गाइड ने
कहानी कही अपने अंदाज में
वह आगे बढता जाता था
कई कहानी ताज की सुनाता था |
उसी से सुनी थी यह भी कहानी
विश्वास तो तब भी न हुआ था
इतना नृशंस शहंशाह होगा
मन को यह स्वीकार न हुआ |
निर्माण कार्य में जुटे कारीगर
दूर दूर से आए थे
कुशल इतने अपने हुनर में
थी न कोइ सानी उनकी |
ताज महल के बनाते ही
वे अपने हाथ गवा बैठे
था फ़रमान शाहजहां का
जो बहुत प्रेम करता था
अपनी बेगम मुमताज से |
वह चाहता न था
कोइ ऐसी इमारत और बने
जो ताज से बराबरी करे |
जीवन के अंतिम पलों में
था जब बेटे की कैद में
अनवरत देखता रहता था
इस प्रेम के प्रतीक को |
आज भी बरसात में
दौनों की आरामगाह पर
जो बूँदें जल की गिरती हैं
दिखती परिणीति परम प्रेम की |
यह कोइ नहीं कहता
अकुशल थे कारीगर
बस यही सुना जाता है
आकाश से प्रेम टपकता है |

आशा




13 टिप्‍पणियां:

  1. यह कोइ नहीं कहता
    अकुशल थे कारीगर
    बस यही सुना जाता है
    आकाश से प्रेम टपकता है |

    बहुत सही।

    सादर

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  2. दूर दूर से आए थे
    कुशल इतने अपने हुनर में
    थी न कोइ सानी उनकी |
    बहुत बढ़िया,
    बड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....

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  3. 'आकाश से प्रेम टपकता है'
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  4. बस यही सुना जाता है
    आकाश से प्रेम टपकता है |

    बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।

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  5. इतिहास को जितनी तरह से समझा जाये और जितने कोनों से देखा जाये अलग तरह से दिखाई देता है ! ताजमहल भी हर कोने से हर मौसम में और हर प्रहर में अलग दिखाई देता है और यही उसकी विशिष्टता है ! आकाश से प्रेम टपकता है, बरसाती पानी होता है या शारदीय आकाश से ओस की बूँदें बरसती हैं यह तो भगवान जाने पर इमारत बेमिसाल है इसमें कोई शक नहीं है !

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  6. इतिहास के माध्यम से प्रेम की भावाव्यक्ति सुंदर अतिसुन्दर हार्दिक शुभकामनायें

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  7. बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना|

    जवाब देंहटाएं
  8. दौनों की आरामगाह पर
    जो बूँदें जल की गिरती हैं
    दिखती परिणीति परम प्रेम की |
    यह कोइ नहीं कहता
    अकुशल थे कारीगर
    बस यही सुना जाता है
    आकाश से प्रेम टपकता है

    ओह,ग़ज़ब की सोंच.
    बधाई

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  9. प्रेम की परिणती कहें या कारीगरों का आक्रोश । सुंदर रचना के लिये बधाई ।

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  10. बहुत सुंदर रचना आशा जी,
    आभार आपका !

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  11. यह कोइ नहीं कहता
    अकुशल थे कारीगर
    बस यही सुना जाता है
    आकाश से प्रेम टपकता है |


    -वाह!! क्या बात है.

    जवाब देंहटाएं

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