
उस दिन एक गाइड ने
कहानी कही अपने अंदाज में
वह आगे बढता जाता था
कई कहानी ताज की सुनाता था |
उसी से सुनी थी यह भी कहानी
विश्वास तो तब भी न हुआ था
इतना नृशंस शहंशाह होगा
मन को यह स्वीकार न हुआ |
निर्माण कार्य में जुटे कारीगर
दूर दूर से आए थे
कुशल इतने अपने हुनर में
थी न कोइ सानी उनकी |
ताज महल के बनाते ही
वे अपने हाथ गवा बैठे
था फ़रमान शाहजहां का
जो बहुत प्रेम करता था
अपनी बेगम मुमताज से |
वह चाहता न था
कोइ ऐसी इमारत और बने
जो ताज से बराबरी करे |
जीवन के अंतिम पलों में
था जब बेटे की कैद में
अनवरत देखता रहता था
इस प्रेम के प्रतीक को |
आज भी बरसात में
दौनों की आरामगाह पर
जो बूँदें जल की गिरती हैं
दिखती परिणीति परम प्रेम की |
यह कोइ नहीं कहता
अकुशल थे कारीगर
बस यही सुना जाता है
आकाश से प्रेम टपकता है |
आशा
कहानी कही अपने अंदाज में
वह आगे बढता जाता था
कई कहानी ताज की सुनाता था |
उसी से सुनी थी यह भी कहानी
विश्वास तो तब भी न हुआ था
इतना नृशंस शहंशाह होगा
मन को यह स्वीकार न हुआ |
निर्माण कार्य में जुटे कारीगर
दूर दूर से आए थे
कुशल इतने अपने हुनर में
थी न कोइ सानी उनकी |
ताज महल के बनाते ही
वे अपने हाथ गवा बैठे
था फ़रमान शाहजहां का
जो बहुत प्रेम करता था
अपनी बेगम मुमताज से |
वह चाहता न था
कोइ ऐसी इमारत और बने
जो ताज से बराबरी करे |
जीवन के अंतिम पलों में
था जब बेटे की कैद में
अनवरत देखता रहता था
इस प्रेम के प्रतीक को |
आज भी बरसात में
दौनों की आरामगाह पर
जो बूँदें जल की गिरती हैं
दिखती परिणीति परम प्रेम की |
यह कोइ नहीं कहता
अकुशल थे कारीगर
बस यही सुना जाता है
आकाश से प्रेम टपकता है |
आशा
यह कोइ नहीं कहता
जवाब देंहटाएंअकुशल थे कारीगर
बस यही सुना जाता है
आकाश से प्रेम टपकता है |
बहुत सही।
सादर
दूर दूर से आए थे
जवाब देंहटाएंकुशल इतने अपने हुनर में
थी न कोइ सानी उनकी |
बहुत बढ़िया,
बड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....
क्या कल्पना है!
जवाब देंहटाएंआपने तो ढोल की पोल खोल दी इस रचना में!
जवाब देंहटाएं'आकाश से प्रेम टपकता है'
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
बस यही सुना जाता है
जवाब देंहटाएंआकाश से प्रेम टपकता है |
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
इतिहास को जितनी तरह से समझा जाये और जितने कोनों से देखा जाये अलग तरह से दिखाई देता है ! ताजमहल भी हर कोने से हर मौसम में और हर प्रहर में अलग दिखाई देता है और यही उसकी विशिष्टता है ! आकाश से प्रेम टपकता है, बरसाती पानी होता है या शारदीय आकाश से ओस की बूँदें बरसती हैं यह तो भगवान जाने पर इमारत बेमिसाल है इसमें कोई शक नहीं है !
जवाब देंहटाएंइतिहास के माध्यम से प्रेम की भावाव्यक्ति सुंदर अतिसुन्दर हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना|
जवाब देंहटाएंदौनों की आरामगाह पर
जवाब देंहटाएंजो बूँदें जल की गिरती हैं
दिखती परिणीति परम प्रेम की |
यह कोइ नहीं कहता
अकुशल थे कारीगर
बस यही सुना जाता है
आकाश से प्रेम टपकता है
ओह,ग़ज़ब की सोंच.
बधाई
प्रेम की परिणती कहें या कारीगरों का आक्रोश । सुंदर रचना के लिये बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना आशा जी,
जवाब देंहटाएंआभार आपका !
यह कोइ नहीं कहता
जवाब देंहटाएंअकुशल थे कारीगर
बस यही सुना जाता है
आकाश से प्रेम टपकता है |
-वाह!! क्या बात है.