माँ का हो आशीष शीश पर
छत्रछाया हो उसकी
उसे यहाँ फिर हो भय कैसा
तू करती रक्षा जिसकी |
तेरी जोत जलाने आई
कहना पाई तुझ से
तेरी महिमा जान न पाई
हुआ मगन मन कब से |
आजा माँ मेरे अंगना में
हूँ बहुत अकिंचन सी
देना आशीष मुझे ऐसा
बस हो जाऊं तुलसी
आशा |
छत्रछाया हो उसकी
उसे यहाँ फिर हो भय कैसा
तू करती रक्षा जिसकी |
तेरी जोत जलाने आई
कहना पाई तुझ से
तेरी महिमा जान न पाई
हुआ मगन मन कब से |
आजा माँ मेरे अंगना में
हूँ बहुत अकिंचन सी
देना आशीष मुझे ऐसा
बस हो जाऊं तुलसी
आशा |
जय माता की
जवाब देंहटाएं!!!*** शुभकामनाएं***!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर आरती| जय माता की..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई ||
जवाब देंहटाएंजय माता दी....
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति....
नवरात्रि की शुभकामनाएं.......
बहुत ही अच्छी आरती
जवाब देंहटाएंजय माता की
यद्यपि करना है सही .......ईश्वर का गुणगान....
जवाब देंहटाएंपर इससे भी उचित है......तू खुद को पहचान......
तू खुद को पहचान.........दुखी फिरते नर नारी..
ईश्वर काफी नहीं कस्ट ......वो हरे हमारी.....
कह मनोज प्रतिदिवस ही ....हो ईश्वर की जीत.....
दुखियो की सेवा करो........गूंजेगा संगीत.....
बहुत भावपूर्ण शब्दों में माता की वन्दना की है ! नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें ! वरदायिनी माँ सबका कल्याण करें यही मंगलकामना है !
जवाब देंहटाएंसुन्दर उदगार.
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की शुभकामनाएं..
नवरात्रि की शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की शुभकामनाएं!