29 सितंबर, 2011

तुम ना आए


तुम ना आए इस उपवन में
आते तभी जान पाते
कितने जतन किये
स्वागत की तैयारी में |
अमराई में कुंजन में
जमुना जल के स्पंदन में
कहाँ नहीं खोजा तुमको
इस छोटे से जीवन में |
खोजा गलियों में
कदम के पेड़ तले
तुम दूर नज़र आए
मगन मुरली की धुन में |
पलक पावडे बिछाए थे
उस पल के इन्तजार में
वह होता अनमोल
अगर तुम आ जाते |
आते यदि अच्छा होता
सारा स्नेह वार देती
प्यारी सी छबी तुम्हारी
मन में उतार लेती |
बांधती ऐसे बंधन में
चाहे जितनी मिन्नत करते
कभी न जाने देती
अपनी मन बगिया से |
आशा





18 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया शब्द रचना.
    सुन्दर प्रवाह.

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  2. चर्चा-मंच पर हैं आप

    पाठक-गण ही पञ्च हैं, शोभित चर्चा मंच |

    आँख-मूँद के क्यूँ गए, कर भंगुर मन-कंच |


    कर भंगुर मन-कंच, टिप्पणी करते जाओ |

    प्रस्तोता का करम, नरम नुस्खा अपनाओ |


    रविकर न्योता देत, द्वार पर सुनिए ठक-ठक |

    चलिए रचनाकार, लेखकालोचक-पाठक ||

    शुक्रवार

    चर्चा - मंच : 653

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  3. मिलन की आतुरता का बहुत सुन्दर चित्रण किया है ! बहुत प्यारी रचना ! कविता के भाव मन को छूने में सक्षम हैं ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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  4. मुरली की धुन में हम भी खो गए ...

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  5. बेहतरीन रचना.. सुन्दर अभिव्यक्ति....

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  6. बहुत सुन्दर रचना..नवरात्रि की हार्दिक मंगल कामनाएं !

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  7. माना गहरा लगा है.........ह्रदय पर आघात......
    हर पल मन ये चाहता.........प्रिये से कर लें बात.....
    प्रिये से कर ले बात..........बैठ के गप्पे मारे.....
    प्रियतम हिय में बसे.......बसे आँखों में हमारे....
    कह मनोज पर वक्त का.....भी तो हो कुछ ख्याल..
    ऐसा कुछ करना नहीं.......आ जाए भूचाल.....

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  8. सुंदर भावमयी प्रस्‍तुति।
    शुभकामनाएं......

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  9. सर्वप्रथम नवरात्रि पर्व पर माँ आदि शक्ति नव-दुर्गा से सबकी खुशहाली की प्रार्थना करते हुए इस पावन पर्व की बहुत बहुत बधाई व हार्दिक शुभकामनायें।

    प्रभू का पूरी लगन व निष्ठा सहित स्मरण किया जाय और कुछ नही तो हर वक्त अन्यत्र ध्यान लगाये बिना उन्ही के ध्यान में खयाल मे डूबा जाय तो प्रभू अवश्य मिलेंगे……सुंदर भावमयी प्रस्‍तुति।

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  10. बहुत अच्छा लिखा है .. मन के उद्गारों को ...

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