09 अक्तूबर, 2011

है अदभुद अहसास


है कितना सुन्दर सुखद
अदभुद अहसास तेरे आगमन का
और मिठास की कल्पना
तेरी खनकती आवाज की |
जब होती हलचल सी
रहती बस यही कल्पना
जल्दी से तू आए
मेरी गोदी में छुप जाए |
कभी ठुमक ठुमक नाचे
गाये तोतली भाषा में
खिलखिलाए बातें बनाए
मेरे घर के आँगन में |
नन्हीं सी बाहें जब फैलाए
गोदी में उठालूँ
बाहों में झुलाऊ
बाँध लूं प्यार से बंधन में |
काले कजरारे नयनों पर
यदि बालों की लटआए
जल्दी से उन्हें सवारूँ
बांधूं लाल रिबिन से |
काजल का दिठोना
लगा भाल पर
तुझे बचाऊँ दुनिया की
बुरी नजर से |
हो चाँद सी उजली सूरत
सीरत किसी देवी सी
तू चले महुआ महके
हँसे तो फूल झरे |
जब अश्रु आँखों में आएं
तुझे कहीं आहत कर जाएँ
अपने आँचल से पोंछ डालूं
आने न दूं उन्हें तेरी जिंदगी में |
तू जल्दी से आ जा
मेरी जिंदगी में
दुनिया चाहे गुड्डा
पर तू है चाहत मेरी |
आशा







7 टिप्‍पणियां:

  1. दुनिया चाहे गुड्डा
    पर तू है चाहत मेरी |
    नन्ही सी आशा...
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  2. वात्सल्य से परिपूर्ण बहुत ही सुन्दर रचना ! सच में जो सुख बेटी को घर आँगन में थिरकते देख मिलता है उसका आनंद ही असीम है ! अति सुंदर !

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  3. बेहतरीन भावाभिव्‍यक्ति....
    सुंदर प्रस्‍तुतिकरण.........

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