25 नवंबर, 2011

छलावा


है जिंदगी एक छलावा
पल पल रंग बदलती है
है जटिल स्वप्न सी
कभी स्थिर नहीं रहती |
जीवन से सीख बहुत पाई
कई बार मात भी खाई
यहाँ अग्नि परीक्षा भी
कोई यश न दे पाई |
अस्थिरता के इस जालक में
फँसता गया ,धँसता गया
असफलता ही हाथ लगी
कभी उबर नहीं पाया |
रंग बदलती यह जिंदगी
मुझे रास नहीं आती
जो सोचा कभी न हुआ
स्वप्न बन कर रह गया |
छलावा ही छलावा
सभी ओर नज़र आया
इससे कैसे बच पाऊँ
विकल्प नज़र नहीं आया |

आशा

19 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तम प्रस्तुति ! यह कदाचित् प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का सत्य है ! छलावा भी जीवन के विविध रंगों में से एक रंग है !

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  2. कभी न कभी यही विचार हर इंसान के मन में आते ही हैं ....मन की टीस की सफल अभिव्यक्ति है आपकी रचना ....

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  3. विकल्प शायद है भी नहीं...!
    जीवन है तो छलावे भी हैं!

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  4. बेहतरीन भावमय करते शब्‍दों का संगम ।

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  5. आशा जी,

    छलावा के अतिरिक्त जिन्दगी और हो भी क्या सकती है......

    इस भ्रम में फंसे हुये सच को सामने लाती हुई कविता।

    आप उज्जैन से हैं, वहाँ मैंने अपनी इंजिनियरिंग का पहला पाठ पढ़ा था।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  6. छलावा ही छलावा ही
    सभी ओर नजर आया
    इससे कैसे बच पाऊं
    विकल्प नजर नहीं आया |

    ....सच में ज़िंदगी एक छलावा ही है और इससे बचने का कोई विकल्प नहीं....बहुत सटीक और भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

    http://batenkuchhdilkee.blogspot.com/2011/11/blog-post.html

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  7. जीवन से सीख बहुत पाई
    कई बार मात भी खाई
    ekdam sachchi kavita likhi hain......bahot achchi lagi.

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  8. इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  9. कल 26/11/2011 आपकी यह पोस्ट की हलचल नयी पुरानी हलचल पर हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  10. विकल्प तो शायद कुछ नहीं है क्यूंकि शायद ज़िंदगी इस ही को कहते हैं एक आम ज़िंदगी के रंगो को दर्शाती बेहतरीन अभिव्यक्ति ...समय मिले कभी तो ज़रूर आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है आशा जी :-)

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  11. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुती....

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  12. ये रोशनी है हकीकत में एक छल लोगों
    कि जैसे जल में झलकता हुआ महल लोगों --दुष्यंत
    सितारे सानज़र आता है ऊपर से जहाँ पानी
    मैं खुशफहमी के उस गहरे कुँये मे कब नहीं उतरा --कतील शिफाई
    है जिंदगी एक छलावा
    पल पल रंग बदलती है...... सही कहा हैबिल्कुल आशा दीदी !!

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  13. जीवन भर छलावे के भ्रम में ही रहते हैं ..सुन्दर प्रस्तुति

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  14. वाह कितनी सरलता से कह दी आपने गूढ बात

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