क्यूँ उदास माँ दिखती है
जब भी कुछ जानना चाहूँ
यूँ ही टाल देती है|
रह ना पाई कुलबुलाई
समय देख प्रश्न दागा
क्या तुम मुझे नहीं चाहतीं
मेरे आने में है दोष क्या
क्यूँ खुश दिखाई नहीं देतीं ?
माँ धीमे से मुस्कुराई
पर उदासी न छिपा पाई
बेटी तू यह नहीं जानती
सब की चाहत है बेटा
जब तेरा आगमन होगा
सब से मोर्चा लेना होगा
यही बात चिंतित करती
मन में उदासी भरती |
जल्दी से ये दिन बीते
खिली रुपहली धूप
आज मेरे आँगन में
गूंजी तेरी किलकारी
इस सूने उपवन में
मिली खुशी अनूप
तुझे पा लेने में |
देखा सोच बदलता मैनें
अपने ही घर में |
कितना सुखमय है जीवन
आज में जान पाई
रिश्तों की गहराई
यहीं नजर आई |
तेरी नन्हीं बाहों की उष्मा
और प्यार भरी सुन्दर अँखियाँ
स्वर्ग कहीं से ले आईं
मेरे मुरझाए जीवन में |
आशा
बहुत सुन्दर मार्मिक रचना!
जवाब देंहटाएं63वें गणतन्त्रदिवस की शुभकामनाएँ!
गहरे भाव लिए सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....
जय हिंद... वंदे मातरम्।
बहुत सुन्दर .. बेटियों का प्यार ऊष्मा देता है .. काश यह बात सब समझ सकें
जवाब देंहटाएंआज के चर्चा मंच पर आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंका अवलोकन किया ||
बहुत बहुत बधाई ||
वाह! बेहद खूबसूरत!
जवाब देंहटाएंमार्मिक उद्गार, धीरे-धीरे मानसिकता बदलती जा रही है.
जवाब देंहटाएंबहुत मर्मस्पर्शी लिखा है आंटी।
जवाब देंहटाएंसादर
नारी के मन की ममतामय सम्वेदानोनाओं को कोमल शब्दों में पिरोया है.बहुत बधाईयां.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ! बेटियाँ कितना सुख जीवन में भर देती हैं इसका आकलन करना असंभव है !
जवाब देंहटाएंमार्मिक!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...बेटी ही एक औरत का सम्पूर्ण जीवन होती हैं
जवाब देंहटाएंbahut pyari si rachna... naari ke samvednao se yukt:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति है
जवाब देंहटाएंबेटी है तो दुनिया है... बहुत सुन्दर रचना...आभार
जवाब देंहटाएंनाजुक सी रचना के लिए बधाई..
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