कुछ शब्दों को
स्वर नहीं मिलते
यदि भूले से मिल भी गए
कहीं पनाह नहीं पाते |
वे होते मुखर एकांत पा
पर होने लगते गुम
समक्ष सबके |
ऐसे शब्दों का लाभ क्या
हैं दूर जो वास्तविक धरा से
हर पल घुमड़ते मन के अंदर
पर साथ नहीं देते समय पर |
स्वप्नों में होते साकार
पर अभिव्यक्ति से कतराते
शब्द तो वही होते
पर रंग बदलते रहते
वे जिस रंग में रम जाते
वहीँ ठिठक कर रह जाते
स्वर कहीं गुम हो जाते |
आशा
शब्द तो वही होते
जवाब देंहटाएंपर रंग बदलते रहते
वे जिस रंग में रम जाते
वहीँ ठिठक कर रह जाते
स्वर कहीं गुम हो जाते |
......बिलकुल सही कहा आपने माँ बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
sundar rachna
जवाब देंहटाएंस्वरों को मुखरित होने दें ..एकांत में ही सही ..सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंगहरे भाव।
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
स्वरों को पकड़ कर रखिये जो अभिव्यक्ति को अवरुद्ध ना होने दें ! जो अनकहा रह गया वह तो आप तक ही स्वीमित रह गया ना ! शब्दों को भी व्यापक फलक की आवश्यकता होती है !
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया आंटी।
जवाब देंहटाएंसादर
शब्द भाव हैं ...शब्द भावनाएं हैं ...उमड़ने दो उसे ...आभार
जवाब देंहटाएंजी बिलकुल कुछ भावो को शब्द नही मिलते है..........बहुत ही खुबसूरत
जवाब देंहटाएंऔर कोमल भावो की अभिवयक्ति......
आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (२८) मैं शामिल की गई है /आप आइये और अपने सन्देश देकर हमारा उत्साह बढाइये /आप हिंदी की सेवा इसी मेहनत और लगन से करते रहें यही कामना है /आभार /
जवाब देंहटाएंशब्द तो वही होते
जवाब देंहटाएंपर रंग बदलते रहते
वे जिस रंग में रम जाते
वहीँ ठिठक कर रह जाते
स्वर कहीं गुम हो जाते |
कोमल भाव......