आज मैं मैं न होती
यदि तुम्हारा साथ ना पाती
थी चाहत शिखर तक
पहुँचने की
कदम भी बढाए
पर मंजिल दूर बहुत |
आपसी सहयोग बिना
कुछ भी नहीं संभव
होते
पूरक एक दूसरे के
महिला और पुरुष |
हर सफल पुरुष के
पीछे
होता हाथ महिला का
महिला की प्रगति भी असंभव
पुरुष के सहयोग बिना |
जीवन की डगर
कठिन बहुत
चलते ही खो जाते उसी में
प्रतिभाएं सुप्त हो
जातीं
सफर तय करने में
पर तुम्हारा हाथ थाम
पहचाना स्वयं को
अपनी कर्मठता को
सृजनशीलता को
नए आयाम खोजे
समस्त अवरोध पार करने को |
बंधन यदि हो कोइ
तब वह जीवन क्या
आज तुम्हारे सहयोग
ने
दृढ संकल्प बनाया मुझे
तभी कुछ कर पाई
हूँ अधूरी तुम्हारे बिना |
आशा
सुंदर भाव मन के ....
जवाब देंहटाएंस्त्री-पुरुष पूरक ही हैं एक दूसरे के ....!!
प्रतियोगी बिलकुल नहीं, हैं प्रतिपूरक जान ।
जवाब देंहटाएंइक दूजे की मदद से, दुनिया बने महान ।
दुनिया बने महान, सही आशा-प्रत्याशा ।
पुत्री बने महान, बाँटता पिता बताशा ।
बच्चों के प्रतिमोह, किसे ममता ना होगी ।
पति-पत्नी माँ-बाप, नहीं कोई प्रतियोगी ।।
दिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक
dineshkidillagi.blogspot.com
होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।
बहुत सुंदर भाव लिए रचना,बेहतरीन प्रस्तुति,...बधाई
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...:बसंती रंग छा गया,...
सुंदर भाव मन के ....इक दूजे की मदद से, दुनिया बने महान ।
जवाब देंहटाएंsarthak prastuti .aabhar
जवाब देंहटाएंKAR DE GOAL
दोनों एक दूसरे के पूरक हैं ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ! इसमें कोई संदेह नहीं सफलता की राह पर हमकदम हो साथ चलने के लिये नारी और पुरुष दोनों को ही एक दूसरे का सहयोगी और पूरक बनना पड़ता है तभी मंजिल तक की दूरी तय की जा सकती है ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंआज तुम्हारे सहयोग ने
जवाब देंहटाएंदृढ संकल्प बनाया मुझे
तभी कुछ कर पाई
हूँ अधूरी तुम्हारे बिना |zindgi ki bahut badi sachchayee hai yah to......
सच कहा है ... इक दूजे के बिना जीबन में कुछ भी सम्भा नहीं ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है ...
bahut khoob
जवाब देंहटाएंbadhia rachna
पूरकता का सम्पूर्ण समावेश ...बढिया अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना... वाह!
जवाब देंहटाएंसादर.
होते पूरक एक दूसरे के
जवाब देंहटाएंमहिला और पुरुष
हर सफल पुरुष के पीछे
होता हाथ महिला का
महिला की प्रगति भी असंभव
पुरुष के सहयोग बिना
सही कहा आपने,
एक दूसरे के सहयोग के बिना जीवन नैया पार नहीं हो सकती।
हाँ आशा जी ,मुझे लगता है सारे संबंध हमारी रिक्तता को किसी-न-किसी रूप में भरने के लिये हैं -पति,पुत्र,भाई ,मित्र और भी जितने..
जवाब देंहटाएंस्त्री अकेले "बहुत कुछ" हासिल कर सकती है,पुरुष की सहायता से "सब कुछ"।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स वीकली मीट (३४) में शामिल की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप इसी तरह मेहनत और लगन से हिंदी की सेवा करते रहें यही कामना है /आभार /लिंक है
जवाब देंहटाएंhttp://hbfint.blogspot.in/2012/03/34-brain-food.html