इस दुनिया में क्या
रखा है
जीने के लिए
रमे रहने के लिए
अपनी दुनिया ही काफी है
बड़ी हस्ती ना भी हुए
तो क्या
सर छिपाने के लिए
छोटी सी छत ही काफी
है
जो सुकून मिलता है यहाँ
शायद ही कहीं मिल
पाए
बहुत अनुभव नहीं तो
क्या
विश्वास की नीव ही
काफी है
सीखा है बहुत कुछ
दुनिया की दुधारी तलवार से
हुए दूर दुनिया से
सिमटे अपनी दुनिया
में
उसे अपने में समेटने
की
लगन ही काफी है
यहाँ जो खुशी मिलाती
है
बांटने से भी कम
नहीं होती
प्यार की तकरार की
छुअन अभी बाकी है
जिंदगी के कई रंग घुले यहाँ
डूबे तभी जान पाए
गहरा है रंग यहाँ का
छूटना बहुत मुश्किल
यहाँ अहसास अपनेपन का
है इतना गहरा
आगे कुछ नहीं दीखता
बस यही काफी है
इस दुनिया में जीने
के लिए
अभी बहुत कुछ बाकी
है |
आशा
sach likha hai -bahut kuchh baki hai .sundar rachna ...gahre bhav samete huye .aabhar .AB HOCKEY KI JAY BOL
जवाब देंहटाएंशिखा जी आपको इस ब्लॉग पर देख कर बहुत अच्छा लगा |टिप्पणी के लिए धन्यवाद |
हटाएंआशा
आगे कुछ नहीं दीखता
जवाब देंहटाएंबस यही काफी है
इस दुनिया में जीने के लिए
अभी बहुत कुछ बाकी है |
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,भावपूर्ण सुंदर रचना,...
RESENT POST...काव्यान्जलि ...: बसंती रंग छा गया,...
आपका इस ब्लॉग पर स्वागत है टिप्पणी के लिए धन्यवाद |आपके लिए
हटाएंएक खुशखबरी है मेरी पहली पुस्तक "अनकहा सच "प्रकाशित होगी है |
आशा
बहुत खूब ...!
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
बढ़िया सृजन किया है आपने!
prerna deti hui sunder kavita hai......
जवाब देंहटाएं'मेरा छोटा सा देखो ये संसार है'! बहुत पुराने गीत के बोल याद आ गये आज आपकी रचना पढ़ कर ! इसमें कोई शक नहीं जितना सुकून अपने घर में मिलता है वह और कहीं मिल ही नहीं सकता ! बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सच्ची रचना....
जवाब देंहटाएंगम जितना है जगत में, उतना ही है हर्ष
काफी कुछ बाकी अभी, पाने को उत्कर्ष
सादर.
टिप्पणी के लिए आभार |
हटाएंआशा
दुनिया में जीने के लिए कारणों की कमी नहीं है ...
जवाब देंहटाएंसार्थक जीवन जितना जिया जाए , कम है !
आपका ब्लॉग पर आकार पिप्प्नी करना बहुत अच्छा लगता है |इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें |
हटाएंआशा
अपनी रचना चर्चा मंच पर देख कर बहुत प्रसन्नता होती है |आपका आभार कविता का चयन करने के लिए |आपको एक खुशखबरी और देदूं |मेरी कविताओं का संग्रह "अनकहा सच" प्रकाशित हो गया है |
जवाब देंहटाएंआशा