22 मार्च, 2012

परोपकार करते करते

रात अंधेरी गहराता तम
 सांय सांय करती हवा 
सन्नाटे में सुनाई देती 
भूले भटके आवाज़ कोइ 
अंधकार  में उभरती 
निंद्रारत लोगों में कुछ को
 चोंकाती विचलित कर जाती 
तभी हुआ एक दीप प्रज्वलित 
तम सारा हरने को 
मन में दबी आग को
 हवा देने को 
लिए  आस हृदय में 
रहा व्यस्त परोपकार में
जानता है जीवन क्षणभंगुर 
पर सोचता रहता अनवरत
जब सुबह होगी 
आवश्यकता उसकी न होगी 
यदि कार्य अधूरा छूटा भी
एक नया दीप जन्म लेगा 
प्रज्वलित होगा 
शेष कार्य पूर्ण करेगा 
सुखद भविष्य की
 कल्पना में खोया 
आधी  रात बाद सोया 
एकाएक लौ तीव्र हुई 
कम्पित  हुई 
इह लीला समाप्त हो गयी 
परम ज्योति में विलीन हो गयी |

आशा






20 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर सृजन, सुन्दर भावाभिव्यक्ति.

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  2. बढ़िया प्रस्तुति |
    नव वर्ष मंगलमय हो ||

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    1. आपको भी नव वर्ष पर हार्दिक शुभकामनाएं |
      आशा

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  3. गहन भाव...
    सुन्दर प्रस्तुति...
    सादर.

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  4. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.....

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  5. परोपकार का शुभ भाव लिए ....
    सुंदर अभिव्यक्ति ...!!
    मंगलकामनाएं ...!!

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  6. आशा का दीपक यूँ ही जलता रहे और जीवन के अन्धकार को हरता रहे ...आभार

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  7. नव संवत्सर एवं 'गुडीपडवा' की हार्दिक शुभकामनाएं ! यह दिव्य अलौकिक तमहरता दीपक सबके जीवन को आलोकित करे और सबका जीवन सुखमय हो यही मंगलकामना है ! बधाई सुन्दर सृजन के लिए !

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  8. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!
    आपको नव सम्वत्सर-2069 की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  9. नव संवत्सर का आरंभन सुख शांति समृद्धि का वाहक बने हार्दिक अभिनन्दन नव वर्ष की मंगल शुभकामनायें/ सुन्दर प्रेरक भाव में रचना बधाईयाँ जी /

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    उत्तर
    1. आपको भी नव वर्ष पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
      आशा

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  10. कल 30/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  11. बहुतस उस्न्दर रचना सादर!

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