तंग दिल हो क्यूँ रहना
होना चाहिये हृदय बड़ा
कहना है सरल पर
है कठिन कितना
यह दंश सहना |
कहने से कोशिश भी की
विस्तार किया
और बड़ा किया
बड़ा दिल बड़ी बातें
रह गए सिमट
कर कोने में
कुछ कष्ट हुआ
जो बढ़ने लगा
गहराई तक पहुँच गया
तुरत फुरत
डाक्टर तक पहुँचे
शल्य चिकित्सा की सलाह ने
आई .सी.यू.तक पहुँचा दिया
ढेरों कष्टों में दबे
सहम गये
जब घर को प्रस्थान किया
सारी जेबें खाली थीं
पुन:यही विचार आया
बड़े दिल का क्या फ़ायदा
जिसने अस्पताल पहुँचा दिया |
आशा
दुनियादारी की नज़र में बड़ा दिल होना सचमुच फक्र की बात है लेकिन जिनका दिल यथार्थ में बड़ा होता है वे सारी ज़िंदगी शारीरिक एवं आर्थिक संकट से घिरे रहते हैं और अस्पतालों के चक्कर काटते रहते हैं ! बहुत ही बढ़िया रचना !
जवाब देंहटाएंवाह आशा जी....
जवाब देंहटाएंक्या बात कही.....सच है इन दिनों दिल बड़ा नहीं कड़ा रखें, तभी आराम है....
सादर.
aapki rachna vaastav me sochne par mahboor kar rahi hai bada dil karna hansi khel nahi hai.
जवाब देंहटाएंBAHDIYA KAVITA...
जवाब देंहटाएंदिल तो है दिल ... दिल का ऐतबार क्या कीजिये ...:) ... अच्छा लिखा है आपने ...
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात है!!!
जवाब देंहटाएंवाह !!!!! बहुत सुंदर रचना,क्या बात है,
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
achcha likhin.....
जवाब देंहटाएंबेहद सार्थक रचना..
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 29-०3 -2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... नयी पुरानी हलचल में ........सब नया नया है
वाह बहुत सुंदर रचना है ...!
जवाब देंहटाएंदिल से छेदछाड़ अच्छी नहीं... जैसा है रहने दिया जाय....
जवाब देंहटाएंसादर।
इतना दुःख भी नहीं सहना चाहिए बड़े दिल के मान पे ... की सब कुछ खो जाए ...
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर लिखा है..माँ आपने
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachanaa....haardik badhaai!
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