27 मार्च, 2012

बड़ा दिल

तंग दिल हो क्यूँ रहना 
होना चाहिये हृदय बड़ा
कहना है सरल पर
है कठिन कितना
यह दंश सहना |
कहने से कोशिश भी की 
विस्तार किया 
और बड़ा किया 
बड़ा दिल बड़ी बातें 
रह गए सिमट
कर कोने में
 कुछ कष्ट हुआ
जो बढ़ने लगा
 गहराई तक पहुँच गया
तुरत फुरत 
डाक्टर तक पहुँचे 
शल्य चिकित्सा की सलाह ने 
आई .सी.यू.तक पहुँचा दिया 
ढेरों  कष्टों  में दबे 
सहम गये
जब घर को प्रस्थान किया 
सारी जेबें खाली थीं 
पुन:यही विचार आया 
बड़े  दिल का क्या फ़ायदा 
जिसने अस्पताल पहुँचा दिया |
 
 
आशा
 




15 टिप्‍पणियां:

  1. दुनियादारी की नज़र में बड़ा दिल होना सचमुच फक्र की बात है लेकिन जिनका दिल यथार्थ में बड़ा होता है वे सारी ज़िंदगी शारीरिक एवं आर्थिक संकट से घिरे रहते हैं और अस्पतालों के चक्कर काटते रहते हैं ! बहुत ही बढ़िया रचना !

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  2. वाह आशा जी....
    क्या बात कही.....सच है इन दिनों दिल बड़ा नहीं कड़ा रखें, तभी आराम है....
    सादर.

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  3. aapki rachna vaastav me sochne par mahboor kar rahi hai bada dil karna hansi khel nahi hai.

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  4. दिल तो है दिल ... दिल का ऐतबार क्या कीजिये ...:) ... अच्छा लिखा है आपने ...

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  5. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 29-०3 -2012 को यहाँ भी है

    .... नयी पुरानी हलचल में ........सब नया नया है

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  6. दिल से छेदछाड़ अच्छी नहीं... जैसा है रहने दिया जाय....
    सादर।

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  7. इतना दुःख भी नहीं सहना चाहिए बड़े दिल के मान पे ... की सब कुछ खो जाए ...

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