गीली मिट्टी घूमता चाक
आकार देते सुघड हाथ
आकृतियाँ जन्म लेतीं
हरबार नया आभास देतीं
संकेत होता वही
हाथों की कुशलता का
मनोंभावों की पूर्णता का
यदि कहीं कमीं रहती
मानक पर खरी नहीं उतरती
वह सहन नहीं होती
नष्ट करदी जाती
मिट्टी मिट्टी में मिल जाती
ब्रह्मा ने सृष्टि रची होगी
ऐसे ही किसी चाक पर
निर्मित हुईं कई कृतियाँ
भिन्न भिन्न आकार लिए
हर आकृति कुछ भाव लिए
समानता होते हुए भी
स्व का भाव लिए
है जाने क्या ऐसी माया
दिखने में सभी एक जैसे
फिर भी होते अलग से
चाक निरंतर चलता रहता
वही मिट्टी वही रण
वही बनाने का ढंग
फिरभी यह विभिन्नता
लगती सौगात कुशलता की
मन में उठते भावो की
उनकी सजीव अभिव्यक्ति की
आशा
ब्रह्मा ने सृष्टि रची होगी
जवाब देंहटाएंऐसे ही किसी चाक पर
सुन्दर अभिव्यक्ति!
चाक निरंतर चलता रहता
जवाब देंहटाएंवही मिट्टी वही रण
वही बनाने का ढंग
फिरभी यह विभिन्नता
लगती सौगात कुशलता की
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...
चाक निरंतर चलता रहता
जवाब देंहटाएंवही मिट्टी वही रण
वही बनाने का ढंग
फिरभी यह विभिन्नता
लगती सौगात कुशलता की
....बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
--
संविधान निर्माता बाबा सहिब भीमराव अम्बेदकर के जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
आपका-
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वही मिट्टी वही रण
जवाब देंहटाएंवही बनाने का ढंग
फिरभी यह विभिन्नता
लगती सौगात कुशलता की
बहुत ही सार्थक एवं सारपूर्ण रचना ! अपनी कविता के माध्यम से जीवन के विभिन्न आयामों की सैर करा देती हैं आप ! बहुत सुन्दर रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
बहुत ही बढ़िया आंटी!
जवाब देंहटाएंसादर
ब्रह्मा ने सृष्टि रची होगी
जवाब देंहटाएंऐसे ही किसी चाक पर
निर्मित हुईं कई कृतियाँ
भिन्न भिन्न आकार लिए
हर आकृति कुछ भाव लिए
समानता होते हुए भी
स्व का भाव लिए...
अनुपम भाव की सुंदर अभिव्यक्ति,...
.
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
सही चित्रण
जवाब देंहटाएंकल 16/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
विभिन्न आयामों को समेटे सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंविभिन्नता तो जरूरी है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रतीकयुक्त रचना
ब्रह्मा ने सृष्टि रची होगी
जवाब देंहटाएंऐसे ही किसी चाक पर
निर्मित हुईं कई कृतियाँ...
क्या सुंदर रचना.... सादर बधाई।
इंसान भी ब्रह्मा की तरह रचता है और ब्रह्मा की रचना की परख करता है. सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर आशाजी !!!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर,सार्थक ...प्रतीकात्मक रचना .
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद
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