14 अप्रैल, 2012

सौगात कुशलता की

गीली मिट्टी घूमता चाक 
आकार देते सुघड हाथ 
आकृतियाँ जन्म लेतीं 
हरबार नया आभास देतीं 
संकेत होता वही 
हाथों की कुशलता का
मनोंभावों की पूर्णता का 
यदि कहीं कमीं रहती 
मानक पर खरी नहीं उतरती 
वह  सहन नहीं होती 
नष्ट करदी जाती 
मिट्टी  मिट्टी में मिल जाती 
ब्रह्मा ने सृष्टि रची होगी 
ऐसे ही किसी चाक पर 
निर्मित हुईं कई कृतियाँ 
भिन्न भिन्न आकार लिए 
हर आकृति कुछ भाव लिए 
समानता होते हुए भी 
स्व का भाव लिए 
है  जाने क्या ऐसी माया 
दिखने में सभी एक जैसे 
फिर भी होते अलग से 
चाक निरंतर चलता रहता 
वही मिट्टी वही रण 
वही बनाने का ढंग 
फिरभी यह विभिन्नता 
लगती सौगात  कुशलता की
मन में उठते भावो की 
उनकी सजीव अभिव्यक्ति की
आशा






16 टिप्‍पणियां:

  1. ब्रह्मा ने सृष्टि रची होगी
    ऐसे ही किसी चाक पर

    सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  2. चाक निरंतर चलता रहता
    वही मिट्टी वही रण
    वही बनाने का ढंग
    फिरभी यह विभिन्नता
    लगती सौगात कुशलता की

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...

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  3. चाक निरंतर चलता रहता
    वही मिट्टी वही रण
    वही बनाने का ढंग
    फिरभी यह विभिन्नता
    लगती सौगात कुशलता की

    ....बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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  4. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!
    --
    संविधान निर्माता बाबा सहिब भीमराव अम्बेदकर के जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
    आपका-
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. वही मिट्टी वही रण
    वही बनाने का ढंग
    फिरभी यह विभिन्नता
    लगती सौगात कुशलता की

    बहुत ही सार्थक एवं सारपूर्ण रचना ! अपनी कविता के माध्यम से जीवन के विभिन्न आयामों की सैर करा देती हैं आप ! बहुत सुन्दर रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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  6. ब्रह्मा ने सृष्टि रची होगी
    ऐसे ही किसी चाक पर
    निर्मित हुईं कई कृतियाँ
    भिन्न भिन्न आकार लिए
    हर आकृति कुछ भाव लिए
    समानता होते हुए भी
    स्व का भाव लिए...

    अनुपम भाव की सुंदर अभिव्यक्ति,...
    .
    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  7. कल 16/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  8. विभिन्न आयामों को समेटे सुंदर प्रस्तुति.

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  9. विभिन्नता तो जरूरी है ...
    सुन्दर प्रतीकयुक्त रचना

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  10. ब्रह्मा ने सृष्टि रची होगी
    ऐसे ही किसी चाक पर
    निर्मित हुईं कई कृतियाँ...

    क्या सुंदर रचना.... सादर बधाई।

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  11. इंसान भी ब्रह्मा की तरह रचता है और ब्रह्मा की रचना की परख करता है. सुंदर रचना.

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  12. सुन्दर,सार्थक ...प्रतीकात्मक रचना .

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