की अटखेलियाँ किरणों से
फिर भी गहरी उदासी से
मुक्ति ना मिल पाई
निहारता दूर क्षितिज में
नेत्र बंद से होने लगते
खो जाता दिवा स्वप्न में
सत्य से बहुत दूर
नहीं चाहता कोई कुछ कहे
है वह क्या ?आइना दिखाए
कठिनाइयों से भेट कराए
भूले से यदि हो सामना
निगाहें चुराए मिलना ना चाहे
या फिर आक्रामक रुख अपनाए
कैसे बीता कल भूल गया
ना ही चाहता जाने
होगा क्या कल
प्रत्यक्ष से भी दूर भागता
ऐसे ही जीना वह चाहता
उसे क्या कहें |
आशा
बहुत खूब ... लाजवाब रचना ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद नासवा जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंआशा
कोमल भावो की अभिवयक्ति..
जवाब देंहटाएंआपको कविता अच्छी लगी इस हेतु धन्यवाद |
हटाएंबहुत खूब... सुंदर प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...:गजल...
टिप्पणी के लिए धन्यवाद |
हटाएंbahut pasand aayee.....
जवाब देंहटाएंक्या सच में ?
हटाएंबढ़िया रचना!
जवाब देंहटाएंपृथ्वी दिवस की शुभकामनाएँ!
पृथ्वी दिवस पर आपको भी शुभकामनाएं |
हटाएंबहुत सुन्दर वाह!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 23-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-858 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
कभी-कभी यही सोच मन मस्तिष्क पर अधिकार कर लेती है ! सुन्दर रचना ! अच्छी लगी !
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद |
हटाएंवाह ...बहुत ही बढिया
जवाब देंहटाएंसदा जी आपकी टिप्पणी अच्छी लगती है |
हटाएंआशा
जो यथार्थ से सामना न करना चाहे उसे दिवा स्वप्नदर्शी कहा जाता है :):) अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपने बहुत सही सोचा |टिप्पणी के लिए धन्यवाद |
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंकभी सुझाव भी दिया कीजिये | उनसे लेखन को बल मिलता है |
हटाएंbahut sundar prastuti
जवाब देंहटाएंकहिये उसे अन्यमनस्कता ,अवसाद या पलायन ,होता है ऐसा कभी कभार सबके साथ ,लेकिन होने लगे जब अति ,कुछ न लगे अच्छा प्रकृति लगे बीमार ,तो समझो वह आदमी ही है बीमार, जो अपनी हताशा प्रकृति पे थोप रहा है .बढ़िया पोस्ट भाव विरेचन करती करवाती .
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद टिप्पणी के लिए|
हटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद कविता जी टिप्पणी के लिए |इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें
हटाएंकैसे बीता कल भूल गया
जवाब देंहटाएंना ही चाहता जाने
होगा क्या कल
कल का आभास किसे हुआ है भला
पंक्तिया अच्छी लगीं जान कर प्रसन्नता हुई |टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंकमाल की है रचना
जवाब देंहटाएंक्या सचमें |टिप्पणी हेतु धन्यवाद
हटाएंबहुत सुन्दर सार्थक रचना
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