प्राण फूंके कान्हां ने
बांस की पुगलिया में
बाँसुरी बन कर बजी
ब्रज मंडल की गलियों में
अधरामृत से कान्हां के
स्वर मधुर उसके हुए
गुंजित हुए सराहे गए
कोई सानी नहीं उनकी
गोपियाँ खींची चली आतीं
उसकी स्वर लहरी पर
सुधबुध खो रास रचातीं
कान्हां पर बलि बलि जातीं
जमुना तट पर कदम तले
मोह देख कान्हा का
उस बांस की पोंगली से
राधा जली ईर्ष्या से भरी
बरजोरी की कन्हैया से
छीना उसे और छिपा आई
हाथ जोड़ मिन्नत करवाई
तभी बांसुरी लौटाई
उसे देख कान्हां के संग
ईर्ष्या कम ना हो पाई
वह सौतन सी नजर आई |
आशा
बहुत सुंदर आशा जी...........
जवाब देंहटाएंबंसरी होंठों से जो लगाये रहते थे कान्हा..............
राधा रानी जलेंगी ही.........
सादर.
बहुत सुंदर प्रस्तुति,..आशा जी
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST .....आगे कोई मोड नही ....
बहुत भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंaapke "Ankha sach" ke sundar,sarthak lekhan hetu bdhai.sheershak kavita behad bhvbhini hae.
जवाब देंहटाएंaaj ki post bhvna pradhan or sundar hae bdhai.
संगीता जी बधाई ले लिए आभार |ऐसा ही प्रेम बनाए रखें |
हटाएंआशा
वाह...बहुत सुन्दर, सार्थक और सटीक!
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत खूब आंटी
जवाब देंहटाएंसादर
कल 29/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
हलचल - एक निवेदन +आज के लिंक्स
bahot sunder likhin hain.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना आशा जी ...
जवाब देंहटाएंराधा की बरजोरी का सुंदर चित्रण।
जवाब देंहटाएंपहली बार आप मेरे ब्लॉग पर आई हैं |यहाँ आपका स्वागत है |टिप्पणी हेतु आभार |
हटाएंआशा
beautiful :)
जवाब देंहटाएंएक सुन्दर रचना की बधाई स्वीकारें आशा जी
जवाब देंहटाएंlovely
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु आभार |
हटाएंबहुत सुन्दर रचना .....
जवाब देंहटाएंकान्हा की बाँसुरी से राधा का बैर तो सर्वविदित है किन्तु इसी मुरली की धुन को सुनने के लिये उनकी अधीरता भी उतनी ही चर्चित है ! उस युग विशेष के मनमोहक संसार में ले गयी आपकी रचना ! बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंजय श्री कृष्ण... बढ़िया रचना..
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद
हटाएंउनकी तो लीला ही अनुपम है ..मनमोहक है..
जवाब देंहटाएंआपकी टिप्पणी का इस ब्लॉग पर स्वागत है |
हटाएंआशा
कान्हा पर बेहतरीन प्रस्तुर्ती
जवाब देंहटाएंकृष्णमयी रचना ....
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु आभार
हटाएंsundar,ati sundar rachana...
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