06 मई, 2012

महिमा अति की

रसना रस में पगी 
शब्दों में मिठास घुली 
आल्हादित मन कर गयी 
सुफल सकारथ कर गयी
पर अति मिठास से 
कानों में जब मिश्री घुली 
हुआ संशय मन में
पीछे  से कोई वार न कर जाए 
अति मिठास कडवी लगी 
दरारें दिल में दिखीं 
तभी जान पाए 
महिमा अति की |
सच  ही कहा था किसी ने
"अति सर्वत्र वर्ज्यते"
पर तब केवल पढ़ा था
आज उसे देख पाए |
आशा


8 टिप्‍पणियां:

  1. अति मिठास कडवी लगी
    दरारें दिल में दिखीं......bilkul 'ati sarvatr varjyet'.

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  2. अति मिठास कडवी हि लगती है......
    बहूत हि बेहतरीन रचना .....

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  3. 'मुँह में राम बगल में छुरी' इसे ही कहते हैं ! सच बयान करती सुन्दर प्रस्तुति !

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  4. सच ही कहा था किसी ने "अति सर्वत्र वर्ज्यते"

    बहुत अच्छी प्रस्तुति,....

    RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....

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  5. अधिक मीठा बाद में हानिकारक ही सिद्ध होता है !

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