निकली जो आहें दिल
से
पहुंचे यदि तुम तक मत सुनना
मेरे दिल सा तुम्हारा दिल भी टूटे ना
तपती धूप में भी
तुम्हारे पैर कभी जलें ना
तुम्हारे पैर कभी जलें ना
अंधकार में भी भय तुम्हें हो ना
सुकून तुम्हें ना दे पाऊँ
ऐसा कभी हो ना
ऐसा कभी हो ना
मेरे जैसा सोच तुम्हारा
निराशा लिए हो ना
निराशा लिए हो ना
रात्रि में साम्राज्य
अनिद्रा का कभी हो ना
अनिद्रा का कभी हो ना
छू ना पाए कभी उदासी
कांटे भी दामन तुम्हारा
छू पाएं ना
छू पाएं ना
झूटी कसमें झूठे वादों का
भरम तुम्हे हो ना
भरम तुम्हे हो ना
करना ना स्वीकार
कभी ऐसा बंधन
कभी ऐसा बंधन
जो स्वीकार्य तुम्हें हो ना
कारण मेरी उदासी का
खोजना ना
जान भी लो तो कभी
सच मानना ना
सच मानना ना
रख के दूर उसे खुद
से
नृत्य देखना मोर का
नृत्य देखना मोर का
पर उसके आंसुओं पर जाना ना
उसके पैरों में
पायल हैं या नहीं
पायल हैं या नहीं
या कहीं गुम हो गईं सोचना ना
कोयल सी कुहुकती रहना
वन उपवन महकाना
वन उपवन महकाना
दुःख के सागर में खो
आँखें नम ना करना |
आँखें नम ना करना |
आशा
वात्सल्य से भरी शुभकामना पढकर मन प्रसन्न हो गया!
जवाब देंहटाएंकोयल सी कुहुकती रहना वन उपवन महकाना
जवाब देंहटाएंदुःख के सागर में खो आँखें नम ना करना |
भाव प्रबल ....सुंदर कविता ...
भावपूर्ण एवं सात्विक शुभकामना से ओतप्रोत बेहतरीन रचना ! बहुत ही सुन्दर !
जवाब देंहटाएंइक शेर याद आ रहा है-
जवाब देंहटाएंरोने वाले तुझे रोने का सलीक़ा भी नहीं,
अश्क़ पीने के लिए है के बहाने के लिए?
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...आभार
सुंदर ||
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ||
इतनी अच्छी दुआएं भावविभोर कर गईं... सुन्दर भावपूर्ण रचना... सादर
जवाब देंहटाएंकोयल सी कुहुकती रहना वन उपवन महकाना
जवाब देंहटाएंदुःख के सागर में खो आँखें नम ना करना |
दिल से दुआ देती हुई सुंदर अभिव्यक्ति,...
RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंkhoobsurat rachnaa !
जवाब देंहटाएंbhaaw bhari !
haardik badhaai !
very emotional poem
जवाब देंहटाएंदुःख के सागर में खो
जवाब देंहटाएंआँखें नम ना करना
बहुत खूब .. सार्थक सन्देश
संवेदनशील रचना अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंभाव प्रबल,सुंदर संवेदनशील कविता
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आदरणीया आशा अम्मा जी
सादर प्रणाम !
कोयल सी कुहुकती रहना
वन उपवन महकाना
दुःख के सागर में खो
आँखें नम ना करना
अच्छा मार्ग दिखाया है आपने सुंदर शब्दों और भावों द्वारा …
हार्दिक शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
खूबसूरत भाव लिए सम्पूर्ण रचना
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