प्यार और प्रेम में
हैं पर्याय एक दूसरे के
या अर्थ भिन्न उनके
इहिलौकिक या पारलौकिक
आत्मिक या भौतिक
या ऐसी भावनाएं
जो भ्रम में डुबोए रखें
ये हैं पत्थर पर पड़ी लकीरें
जो मिटना नहीं चाहतीं
और मिट भी नहीं सकतीं
चाहे जो परिवर्तन आए
या बदलाव नहीं आए
या बदलाव नहीं आए
अनेक विचार कई तर्क
संबद्ध हुए इनसे
यदि गहन चिंतन करें
भावनाएं प्रवल दिखाई देतीं
बढते दुःख की पराकाष्ठा
जब भी मन को छू जाती
अन्धकार में
जलते दिए की एक किरण
दिखाई तब भी दे जाती
दिखाई तब भी दे जाती
उसी ओर मैं खिंचता जाता
इसे ही सुखद संकेत मान
प्यार लिए उसका ह्रदय में
आगे को बढता जाता
शायद यही प्रेम है
या प्यार मेरा उसके लिए
या प्यार मेरा उसके लिए
मैं उसे प्यार करता हूँ
क्यूँ कि है वह देश मेरा |
क्यूँ कि है वह देश मेरा |
मैं उसे प्यार करता हूँ
जवाब देंहटाएंक्यूँ कि है वह देश मेरा |
बहुत खूब आंटी!
सादर
sahi bat....
जवाब देंहटाएंअक्सर शब्द पर्यायवाची होते हुए भी प्रयोग के रूप में भिन्नता रखते हैं .... बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbahot achchi......
जवाब देंहटाएंनमस्कार,
जवाब देंहटाएंप्यार वह अनुराग है जो शिशु के साथ हो तो वात्सल्य, बच्चों के साथ हो तो स्नेह, किशोरावस्था में हो तो प्रेम, आपस में अभिवादन, गुरु और परमेश्वर के साथ वही भक्ति कहलाता है. अब इसका प्रयोग और अनुप्रयोग से इसके अर्थ भी प्रभावित होने लगते हैं, भाव भी बदलने लगता है. बहुत कुछ काल और परिस्थियों पर निर्भर करता है. कभी-कभी तो यह इतना प्रबल हो उठता है कि नियमों के सरे बंधन टूट जाते हैं. लेकिन प्रेम है एक दिव्य एहसास, एक अलौकिक अनुपम अनुभूति जिससे सभी बंधे हैं. समज बंधा है, देश बंधा है यहाँ तक की भगवान भी बंधा है. अकेला ईश्वर भी प्रेम के कारण द्विधा पुरुष और नारी के रूप में बाँट गया .बधाई इस अनोखी चर्चा के लिए.
उज्जवल भाव ...सुंदर रचना ...शुभकामनायें..!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी बात कही है आपने.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंगहन अन्धकार के बाद ही उजाला हैं ....
जवाब देंहटाएंबड़ी ही गहन एवं चिंतनपरक प्रस्तुति ! हर शब्द सोचने के लिए प्रेरित करता है ! इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई एवं अभिनन्दन !
जवाब देंहटाएंक्या बात है!!
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि का लिंक दिनांक 11-06-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगा। सादर सूचनार्थ
बेहतरीन अभिव्यक्ति सुंदर रचना,,,,, ,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST,,,,काव्यान्जलि ...: ब्याह रचाने के लिये,,,,,
बहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंगहन चिन्तन के साथ बहुत सुन्दर भाव सुन्दर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंbahut hi khoobsurat kawita hai .... mujhe to bahut hi achhi lagi....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंsundar..
जवाब देंहटाएंवाह एक सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंवाह! खूबसूरत व्याख्या...
जवाब देंहटाएंसादर।
desh prem ko darshati ek sundar rachna ....
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