सभी कुछ नया
कोई अपना नजर नहीं आता
जो भी पहले देखा सीखा
सब पीछे छूट गया
हैं यादें ही साथ
पर इसका मलाल नहीं
रीति रिवाज सभी भिन्न
नई सी हर बात
अब तक रच बस नहीं पाई
फिर भी अपनी सारी इच्छाएं
दर किनारे कर आई
जाने कब अहसास
अपनेपन का होगा
परिवर्तन जाने कब होगा
अभी तो है सभी अनिश्चित
इस डगर पर चलने के लिए
कई परीक्षाएं देनीं हैं
मन पर रखना है अंकुश
तभी तो कोई कौना यहाँ का
हो पाएगा सुरक्षित
जब सब को अपना लेगी
सफल तभी हो पाएगी
है यह इतना सरल भी नहीं
पर वह जान गयी है
हार यदि मान बैठी
लंबी पारी जीवन की
कैसे खेल पाएगी |
आशा
नयी नवेली के लिए बहुत प्यारा लिखा आपने...
जवाब देंहटाएंसादर.
एक दिन सब को अपना लेगी
जवाब देंहटाएंऔर सफल हो जाएगी ... सुन्दर भाव... आभार
एक दिन सब को अपना लेगी
जवाब देंहटाएंऔर सफल हो जाएगी .... yahi viswash to hame aage bada dega.....behtreen....
पर वह जान गयी है
जवाब देंहटाएंहार यदि मान बैठी
लंबी पारी जीवन की
कैसे खेल पाएगी |
सुंदर प्रस्तुति ,,,,,
MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
jeewan ki ek nayi duniya ki or rukh karti abhiwyakti...
जवाब देंहटाएंbahut sundar,....
माफ़ करो इन्हें, ये तो इनके पढने-खेलने के दिन हैं.....
'अब तक रच बस नहीं पाई
जवाब देंहटाएंफिर भी अपनी सारी इच्छाएं
दर किनारे कर आई'
यही कहा था प्रसाद जी ने -
'आँसू से भीगे आँचल पर मन का सब कुछ रखना होगा,
तुमको निज स्मिति रेखा से यह संधि-पत्र लिखना होगा .'
bahut sundar rachana...
जवाब देंहटाएंनई डगर के नए एहसास ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंyatharth chitran hai bahut khub
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना और एक नव वधू की मानसिकता का सही चित्रण ! सच है -
जवाब देंहटाएंजब सब को अपना लेगी
सफल तभी हो पाएगी !
एक नव वधु के मन की ऊहापोह का बहुत ही सुन्दर चित्रण ! बहुत प्यारी रचना ! सही कहा आपने ---
जवाब देंहटाएंजब सब को अपना लेगी
सफल तभी हो पाएगी
है यह इतना सरल भी नहीं
पर वह जान गयी है
हार यदि मान बैठी
लंबी पारी जीवन की
कैसे खेल पाएगी |