हो निडर घूम रही
जंगल की पनाह में
आवाज से दहशत भरती
लोगों के दिलों में
पर क्या वह माँ नहीं
उसे ममता का
लेशमात्र भी अहसास नहीं ?
पर ऐसा कुछ नहीं
हैं ममता के रूप अनेक
हैं ममता के रूप अनेक
वह भी है सतर्क माँ
सहेज रही अपने बच्चों को
सचेत कर रही उन्हें
आने वाले खतरों से
वह जानती है अभी छोटे हैं
दुनिया की रीत नहीं जानते
यहाँ के रास्ते नहीं पहचानते
यदि इधर उधर भटक गए
सुरक्षा होगी कठिन
शायद इसी लिए
साथ लिए फिरती है
यदि कोई अंदेशा हो
सचेत उन्हें करती है |
आशा
आशा
कल 07/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
शायद इसी लिए
जवाब देंहटाएंसाथ लिए फिरती है
यदि कोई अंदेशा हो
सचेत उन्हें करती है |
ये प्राणी जीव का कुदरती स्वभाव है,,,,,
MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
शायद इसी लिए
जवाब देंहटाएंसाथ लिए फिरती है
यदि कोई अंदेशा हो
सचेत उन्हें करती है |behtreen abhivaykti....
maa to maa hai ishvar hi maa ke rup me bachho ke pas rahata hai
जवाब देंहटाएंbahut sundar kavita
sundar kavita
जवाब देंहटाएंThanks
http://drivingwithpen.blogspot.in/
bahut dino se aap aayi nahi mere blog par
bhul gai hain kya hame
maa ki bhavnaon ko naman ..
जवाब देंहटाएंsundar rachna ...
shubhkamnayen .
अरे वाह ! बांधवगढ़ के हम लोगों की यात्रा के सुन्दर चित्र देख कर मन प्रसन्न हो गया ! रचना भी उतनी ही प्यारी है ! जहां तक माँ के रूप का सवाल है अपने बच्चों की रक्षा के लिए एक शेरनी माँ मानवी बन सकती है और आपादकाल में एक मानवी माँ शेरनी बन जाती है ! मज़ा आ गया आज !
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंbahot achche.....
जवाब देंहटाएंमाँ हर रूप में सिर्फ माँ है
जवाब देंहटाएंमाँ...बस माँ है....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
सादर।
बहुत खूब.... आपके इस पोस्ट की चर्चा आज 07-6-2012 ब्लॉग बुलेटिन पर प्रकाशित है ... विवाह की सही उम्र क्या और क्यूँ ?? फैसला आपका है.....धन्यवाद.... अपनी राय अवश्य दें...
जवाब देंहटाएंman ko chholene wali rachana.....wah
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब ......माँ कोई भी हो ...रूप रंग भले ही अलग अलग हो ...पर वो माँ हैं ....
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