एक नन्हां सा तिनका
समूह से बिछड़ा हुआ
राह में भटक गया
बारम्बार सोच रहा
जाने कहाँ जाएगा
होगा क्या हश्र उसका
और कहाँ ठौर उसका
और कहाँ ठौर उसका
यदि पास दरिया के गया
बहा ले जाएगी उसे
उर्मियाँ अनेक होंगी
उनके प्रहार से हर बार
क्या खुद को बचा पाएगा
बहुत बढ़िया आंटी!
जवाब देंहटाएंसादर
उद्वेलित मन के दर्द भरे भाव ...!!
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...!!
gambheer rachna..sunder prateek ke madhyam se jeewan me aayee kinkartvyatbimudh sthiti ks shandaar chitran,,,sadar badhayee aaur sadar amantran ke sath
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना..
:-)
bahut badhiya....
जवाब देंहटाएंमन के भावों की सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
सुन्दर भाव संयोजन एवं बेहतरीन बिम्ब विधान ! बहुत खूबसूरत बन पड़ी है रचना ! बधाई एवं शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव संयोजन एवं अनुपम बिम्ब...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना .... तिनका बेचारा ...
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सूचनार्थ
सैलानी की कलम से
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ब्लॉ.ललित शर्मा
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तिनका और हवा अपनी अपनी नियति में फंसे हुए हैं .......बहुत सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर और सहज भाव
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