24 जून, 2012

पाषाण ह्रदय

कई बार सुने किस्से
 सास बहू के बिगडते
बनते तालमेल के 
विश्लेषण का अवसर न मिला
जब बहुत करीब से देखा 
अंदर झांकने की कोशिश की 
बात बड़ी स्पष्ट लगी 
यह कटुता या गलत ब्यवहार 
इस रिश्ते की देन नहीं 
है  यह पूर्णरूपेण व्यक्तिगत
जो जैसा सहता है देखता है 
वैसा ही व्यवहार करता है 
मन की कठोरता निर्ममता 
करती असंतुलित इसे 
सास यह भूल जाती है 
बेटी उसकी भी 
किसी की तो बहू बनेगी 
जो  हाथ बेटी पर न उठे 
वे कैसे बहू पर उठते है 
क्या यह दूषित सोच नहीं 
है अंतर बहू और बेटी में 
क्यूं फर्क फिर व्यवहार में 
वह  भी तो किसी की बेटी है 
प्यार पाने का हक रखती है ||
आशा




18 टिप्‍पणियां:

  1. इस सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकारें .

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  2. आशा जी सही कहा कमी रिश्ते में नहीं है व्यक्तिगत सोच और व्यवहार ,संस्कार में है कही सास माँ जैसी नहीं बन पाती कहीं बहु बेटी जैसी नहीं बन पाती और दोष रिश्ते पर मध् दिया जाता है ...बहुत बढ़िया प्रस्तुति

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  3. है अंतर बहू और बेटी में
    क्यूं फर्क फिर व्यवहार में
    वह भी तो किसी की बेटी है
    प्यार पाने का हक रखती है ||

    सटीक सार्थक सुंदर सम्प्रेषण,,,,,

    RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,

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  4. वह भी तो किसी की बेटी है
    प्यार पाने का हक रखती है ||

    ....बहुत सच कहा है...बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति...

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  5. निर्मम यथार्थ को बड़ी बेबाकी से उधेड़ा है आपने रचना में ! यही जीवन का कटु सत्य है !
    क्या यह दूषित सोच नहीं
    है अंतर बहू और बेटी में
    क्यूं फर्क फिर व्यवहार में
    वह भी तो किसी की बेटी है
    प्यार पाने का हक रखती है |
    सब ऐसे ही सोचने लगें तो समस्या ही समाप्त हो जाये !

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  6. बहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....

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  7. क्या बात है!!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 25-06-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-921 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  8. क्या बात है!!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 25-06-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-921 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  9. बेहद सार्थक और अर्थपूर्ण रचना....
    मन को छू गयी..........

    सादर
    अनु

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  10. क्या यह दूषित सोच नहीं
    है अंतर बहू और बेटी में
    क्यूं फर्क फिर व्यवहार में
    वह भी तो किसी की बेटी है
    प्यार पाने का हक रखती है |


    सच कहा है, सार्थक अभिव्यक्ति और सुंदर सम्प्रेषण

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  11. उत्कृष्ट |
    बहुत बहुत बधाई |

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  12. हर घर में यही कहानी है
    इक दासी है इक रानी है
    जिस घर में बदली सोच वहाँ
    खुश दोनों ही महारानी है.

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