विश्लेषण का अवसर न मिला
जब बहुत करीब से देखा
अंदर झांकने की कोशिश की
बात बड़ी स्पष्ट लगी
यह कटुता या गलत ब्यवहार
इस रिश्ते की देन नहीं
है यह पूर्णरूपेण व्यक्तिगत
जो जैसा सहता है देखता है
वैसा ही व्यवहार करता है
मन की कठोरता निर्ममता
करती असंतुलित इसे
सास यह भूल जाती है
बेटी उसकी भी
किसी की तो बहू बनेगी
जो हाथ बेटी पर न उठे
वे कैसे बहू पर उठते है
क्या यह दूषित सोच नहीं
है अंतर बहू और बेटी में
क्यूं फर्क फिर व्यवहार में
वह भी तो किसी की बेटी है
प्यार पाने का हक रखती है ||
आशा
इस सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकारें .
जवाब देंहटाएंआशा जी सही कहा कमी रिश्ते में नहीं है व्यक्तिगत सोच और व्यवहार ,संस्कार में है कही सास माँ जैसी नहीं बन पाती कहीं बहु बेटी जैसी नहीं बन पाती और दोष रिश्ते पर मध् दिया जाता है ...बहुत बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहै अंतर बहू और बेटी में
जवाब देंहटाएंक्यूं फर्क फिर व्यवहार में
वह भी तो किसी की बेटी है
प्यार पाने का हक रखती है ||
सटीक सार्थक सुंदर सम्प्रेषण,,,,,
RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,
वह भी तो किसी की बेटी है
जवाब देंहटाएंप्यार पाने का हक रखती है ||
....बहुत सच कहा है...बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति...
सार्थक पोस्ट ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया आंटी
जवाब देंहटाएंसादर
निर्मम यथार्थ को बड़ी बेबाकी से उधेड़ा है आपने रचना में ! यही जीवन का कटु सत्य है !
जवाब देंहटाएंक्या यह दूषित सोच नहीं
है अंतर बहू और बेटी में
क्यूं फर्क फिर व्यवहार में
वह भी तो किसी की बेटी है
प्यार पाने का हक रखती है |
सब ऐसे ही सोचने लगें तो समस्या ही समाप्त हो जाये !
बहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....
जवाब देंहटाएंक्या बात है!!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 25-06-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-921 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
क्या बात है!!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 25-06-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-921 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बेहद सार्थक और अर्थपूर्ण रचना....
जवाब देंहटाएंमन को छू गयी..........
सादर
अनु
क्या यह दूषित सोच नहीं
जवाब देंहटाएंहै अंतर बहू और बेटी में
क्यूं फर्क फिर व्यवहार में
वह भी तो किसी की बेटी है
प्यार पाने का हक रखती है |
सच कहा है, सार्थक अभिव्यक्ति और सुंदर सम्प्रेषण
उत्कृष्ट |
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई |
सुंदर सार्थक रचना...
जवाब देंहटाएंसादर।
हर घर में यही कहानी है
जवाब देंहटाएंइक दासी है इक रानी है
जिस घर में बदली सोच वहाँ
खुश दोनों ही महारानी है.
सार्थक रचना....सादर
जवाब देंहटाएंbahut hee sarthak post..main aapke bicharon se purntaya sahmat hoon
जवाब देंहटाएंसच ही लिखा हैं आपने ...
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