टपकता पसीना
सूखे नदी नाले
सूखे सरोवर सारे
पिघलते हिम खंड
कराते
अहसास गर्मीं का
हैं
बेहाल सभी
बेसब्री
से करते
इन्तजार
जल प्लावन का
छाई घन घोर घटाएं
वारिध भर लाए जल के घट
उनसे बोझिल वे आपस में टकराते
गरज गरज जल बरसाते
दामिनी दमकती
हो सम्मिलित खुशी में
नभ में आतिशबाजी होती
झिमिर झिमिर बूँदें झरतीं |
मौसम की पहली बारिश से
धरती भीगी अंचल भीगा
मिट्टी की सौंधी खुशबू
से
मन का कौना कौना महका |
दादुर मोर पपीहा बोले
वन हरियाए उपवन सरसे
गर्मीं की हुई विदाई
चारों ओर हरियाली छाई |
आशा
गर्मी की हुई विदाई
जवाब देंहटाएंचहूओर हरियाली छाई
बधाई ...अब वर्षा आई ...
सुंदर रचना लाई ...
शुभकामनायें आशा जी ...
धन्यवाद
हटाएंआपकी इस मनभावन रचना से भीग गए हम भी.....
जवाब देंहटाएंसादर
अनु
टिप्पणी हेतु धन्यवाद
हटाएंआह!
जवाब देंहटाएंबरसात का सुन्दर अहसास
कराती आपकी प्रस्तुति के लिए
आभार.गर्मी की तडफ से आँखें आकाश की ओर ही
लगी रहतीं हैं अब.देखिये कब इंद्र देव की कृपा
होती है.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा,आशा जी.
अभी तक नेट उपलब्ध नहीं था इस कारण आपका ब्लॉग नहीं देख पाई आज देखूंगी |
हटाएंपहली बारिश से
जवाब देंहटाएंधरती भीगी अंचल भीगा
मिट्टी की
सौंधी खुशबू से
अभी पहली बारिश के इन्तजार मे हैं बस आपकी पँक्तियाँ कल्पना मे बरसात का आनन्द दे रही हैं।। शुभकामनायें।
वर्षा पर प्रस्तुति गजब, बड़ा मनोहर रूप |
जवाब देंहटाएंत्राहिमाम करवा गई, तीखी-जलती धूप |
तीखी-जलती धूप, बदन का सूखा पानी |
सर सरिता नल कूप, करें नित गलत-बयानी |
सूखे अरब शरीर, बने वो पानी बदरा |
हरे हमारी पीर, नहीं वो खारा सगरा ||
आपकी टिप्पणी बहुत अनोके अंदाज में होती है |
हटाएंअनुपम भाव लिए बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल के चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आकर चर्चामंच की शोभा बढायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर आशा जी.. यहाँ भी आज जम के हुई वर्षा....
जवाब देंहटाएंयहाँ तो थोड़ी सी बूंदाबांदी ही हो कर रह गयी गर्मींऔर बढ़ा गयी |
हटाएंमिट्टी की सोंधी सी खुशबू से भरी सुन्दर प्रस्तुति... आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद टिप्पणी हेतु |
हटाएंसचमुच पहली फुहार का आनंद ही कुछ और रहता है ....बहुत सुन्दर रचना..आभार
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद |
हटाएंअरे वाह ! आपने तो सचमुच सावन की फुहारों का आनन्द उठा लिया लगता है ! अभी आगरा तो भीषण गर्मी से झुलस रहा है ! हाँ सुबह शाहजहाँ पार्क में मोर और कोयल की आवाजें ज़रूर मन हर्षित कर जाती हैं ! और सावन की पहली फुहार के स्वागत के लिए आतुर मोर भी खूब दिखाई देते हैं ! उन्हें देख कर ही हमारी गर्मी शांत हो जाती है ! सुन्दर रचना के लिए बधाई !
जवाब देंहटाएंलगता है अभी वर्षा ने वहाँ दस्तक नहीं दी है |
हटाएंbahut sunder varnan.....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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उम्दा प्रस्तुति के लिए आभार
प्रवरसेन की नगरी प्रवरपुर की कथा
♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥
♥ पहली फ़ूहार और रुकी हुई जिंदगी" ♥
♥शुभकामनाएं♥
ब्लॉ.ललित शर्मा
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मौसम की पहली बारिश से
जवाब देंहटाएंधरती भीगी अंचल भीगा
मिट्टी की सौंधी खुशबू से
मन का कौना कौना महका |
सौंधी खुशबू से महक गया मन....
बहुत सुन्दर...!
बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति .....शीतल सी ...
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