02 जुलाई, 2012

पहली फुहार


टपकता पसीना
सूखे नदी नाले
सूखे सरोवर सारे
पिघलते हिम खंड
कराते अहसास गर्मीं का
हैं बेहाल सभी
बेसब्री से करते
इन्तजार जल प्लावन का
छाई घन घोर  घटाएं
वारिध भर लाए जल के घट
उनसे बोझिल वे आपस में टकराते
गरज गरज जल बरसाते
दामिनी दमकती
 हो सम्मिलित खुशी में
नभ में आतिशबाजी होती
झिमिर झिमिर बूँदें झरतीं |
मौसम की पहली बारिश से
धरती भीगी अंचल भीगा
मिट्टी की सौंधी खुशबू से
मन का कौना कौना महका |


 दादुर मोर पपीहा बोले
वन हरियाए उपवन सरसे
गर्मीं की हुई विदाई
चारों ओर हरियाली छाई |




आशा




24 टिप्‍पणियां:

  1. गर्मी की हुई विदाई
    चहूओर हरियाली छाई
    बधाई ...अब वर्षा आई ...
    सुंदर रचना लाई ...
    शुभकामनायें आशा जी ...

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस मनभावन रचना से भीग गए हम भी.....

    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  3. आह!
    बरसात का सुन्दर अहसास
    कराती आपकी प्रस्तुति के लिए
    आभार.गर्मी की तडफ से आँखें आकाश की ओर ही
    लगी रहतीं हैं अब.देखिये कब इंद्र देव की कृपा
    होती है.

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा,आशा जी.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अभी तक नेट उपलब्ध नहीं था इस कारण आपका ब्लॉग नहीं देख पाई आज देखूंगी |

      हटाएं
  4. पहली बारिश से
    धरती भीगी अंचल भीगा
    मिट्टी की
    सौंधी खुशबू से
    अभी पहली बारिश के इन्तजार मे हैं बस आपकी पँक्तियाँ कल्पना मे बरसात का आनन्द दे रही हैं।। शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  5. वर्षा पर प्रस्तुति गजब, बड़ा मनोहर रूप |
    त्राहिमाम करवा गई, तीखी-जलती धूप |
    तीखी-जलती धूप, बदन का सूखा पानी |
    सर सरिता नल कूप, करें नित गलत-बयानी |
    सूखे अरब शरीर, बने वो पानी बदरा |
    हरे हमारी पीर, नहीं वो खारा सगरा ||

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी टिप्पणी बहुत अनोके अंदाज में होती है |

      हटाएं
  6. अनुपम भाव लिए बेहतरीन प्रस्‍तुति।

    जवाब देंहटाएं
  7. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल के चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आकर चर्चामंच की शोभा बढायें

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर आशा जी.. यहाँ भी आज जम के हुई वर्षा....

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. यहाँ तो थोड़ी सी बूंदाबांदी ही हो कर रह गयी गर्मींऔर बढ़ा गयी |

      हटाएं
  9. मिट्टी की सोंधी सी खुशबू से भरी सुन्दर प्रस्तुति... आभार

    जवाब देंहटाएं
  10. सचमुच पहली फुहार का आनंद ही कुछ और रहता है ....बहुत सुन्दर रचना..आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. अरे वाह ! आपने तो सचमुच सावन की फुहारों का आनन्द उठा लिया लगता है ! अभी आगरा तो भीषण गर्मी से झुलस रहा है ! हाँ सुबह शाहजहाँ पार्क में मोर और कोयल की आवाजें ज़रूर मन हर्षित कर जाती हैं ! और सावन की पहली फुहार के स्वागत के लिए आतुर मोर भी खूब दिखाई देते हैं ! उन्हें देख कर ही हमारी गर्मी शांत हो जाती है ! सुन्दर रचना के लिए बधाई !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. लगता है अभी वर्षा ने वहाँ दस्तक नहीं दी है |

      हटाएं
  12. **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
    ~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
    *****************************************************************
    उम्दा प्रस्तुति के लिए आभार


    प्रवरसेन की नगरी
    प्रवरपुर की कथा



    ♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥

    ♥ पहली फ़ूहार और रुकी हुई जिंदगी" ♥


    ♥शुभकामनाएं♥

    ब्लॉ.ललित शर्मा
    ***********************************************
    ~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^
    **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**

    जवाब देंहटाएं
  13. मौसम की पहली बारिश से
    धरती भीगी अंचल भीगा
    मिट्टी की सौंधी खुशबू से
    मन का कौना कौना महका |

    सौंधी खुशबू से महक गया मन....
    बहुत सुन्दर...!

    जवाब देंहटाएं
  14. बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति .....शीतल सी ...

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: