दुर्गम मार्ग से जाना 
सकरी बीथिका में 
कंटकों से बच पाना 
पर  एक लक्ष्य एक ध्येय 
देता संबल मुझे 
तुझ तक पहुँचने का 
तुझ में रमें रहने का 
मन में व्याप्त आतुरता 
खोजती तुझे 
दीखता जब पहुँच मार्ग 
कोई बंधन, कोई आकर्षण 
या  हो मोह ममता 
सब बोझ से लगते
 उन् सब से तोड़ा नाता 
श्याम सलौने तुझसे 
जब से जोड़ लिया नाता 
खुद  को भी भूल गया 
तुझ  में मन खोया ऐसा 
तेरी  मूरत में डूबा 
साक्षात्कार हो तुझसे 
है बस यही ध्येय मेरा |
आशा 

 
 
साक्षात्कार हो तुझसे
जवाब देंहटाएंहै बस यही ध्येय मेरा |
बेहतरीन प्रस्तुति,,,,
बहुत सुंदर रचना,
RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....
मन में आस्था सच्ची हो तो साक्षात्कार होगा ही....
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना आशा जी.
सादर
अनु
श्याम के रंग में रंगी सशक्त रचना ! सच्ची श्रद्धा और लगन हो तो हर ध्येय की पूर्ति संभव है ! शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंसच्ची लगन ध्येय प्राप्ति का सरल मार्ग है... सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार आशाजी
जवाब देंहटाएंbahot sunder......
जवाब देंहटाएंसच्ची लगन और मन में पूर्ण आस्था ही ध्येय प्राप्ति का सरल मार्ग है... बहुत सुंदर रचना,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंसाक्षात्कार हो तुझसे
है बस यही ध्येय मेरा |
तुझ में मन खोया ऐसा
जवाब देंहटाएंतेरी मूरत में डूबा
साक्षात्कार हो तुझसे
है बस यही ध्येय मेरा |
बहुत सुन्दर ....
साक्षात्कार हो तुझसे
जवाब देंहटाएंहै बस यही ध्येय मेरा
वाह ..
श्याम के रंग में पगी ... लाजवाब सुन्दर रचना ... भावमय ...
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