30 जुलाई, 2012

कैसा है सम्बन्ध


मैं दीपक तुम बाती
मिट्टी मेरी माँ
हूँ कठोर
नष्ट तो हो सकता हूँ
पर जल कर राख नहीं
तुम बाती
जन्मीं कपास से
आहार जिसे मिला
मेरी ही माँ से
तुम कोमलांगी गौर वर्ण
स्नेह से भरपूर
ज्वाला सी जलतीं
कर्तव्य समझ अपना
तम हरतीं
अपनी आहुति देतीं
पर हितार्थ
है सम्बन्ध अटूट
मेरा तुम्हारा
मैं कठोर पर तुम कोमल
यह कैसा संयोग
गहरी श्वास ले
तुम तो चली जाती हो
एक अमिट काली लकीर
यादों की मुझ पर
छोड़ जाती हो
जब रह जाता एकल
कभी तोड़ दिया जाता
या फैक दिया जाता हूँ
है  कैसा सम्बन्ध
परस्पर हम दौनों में
मैं सोच नहीं पाता |
आशा 

18 टिप्‍पणियां:

  1. वाह...
    बहुत सुन्दर आशा जी....
    दिया बाती का रिश्ता है ही कुछ ऐसा...

    सादर
    अनु

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    1. आपको टिप्पणी हेतु धन्यवाद अनु जी |इसी प्रकार मेरे ब्लॉग पर आकार अपनी टिप्पणी से प्रोत्साहित करती रहें |
      आशा

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  2. उत्तर
    1. टिप्पणी हेतु धन्यवाद शिखा जी |बहुत अच्छा लगा की आप मेरे ब्लॉग पर आईं |आशा

      हटाएं
  3. दिये और बाती के रिश्ते को कहती सुंदर रचना

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    उत्तर
    1. आपकी टिप्पणी लेखन को प्रोत्साहित करती है |ऐसा ही स्नेह बनाए रखें |
      आशा

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. अनुपमा जी मुझे आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहती है |ऐसा ही स्नेह बनाए रखें |
      आशा

      हटाएं
  5. उत्तर
    1. अरुण जी आपकी रचना ईश्वर पढ़ी |बहुत अच्छी लगी पर टिप्पणी बॉक्स न खुलने के कारण टिप्पणी नहीं डाल सकी |आपको टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
      आशा

      हटाएं
  6. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार को ३१/७/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी आपका स्वागत है

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    उत्तर
    1. आपकी सूचना मिली इस हेतु आभार |कविता अच्छी लगी जान कर प्रसन्नता हुई |टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
      आशा

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  7. परस्पर संबंधों को समझना बहुत जरूरी है ।

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  8. जब रह जाता एकल
    कभी तोड़ दिया जाता
    या फैक दिया जाता हूँ
    है कैसा सम्बन्ध
    परस्पर हम दौनों में
    मैं सोच नहीं पाता,,,,,

    सम्बन्ध ही कुछ ऐसा है,,,दिया और बाती का कि समझ पाना मुश्किल है,,,,

    RECENT POST,,,इन्तजार,,,

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  9. यह कैसा संयोग
    गहरी श्वास ले
    तुम तो चली जाती हो
    एक अमित काली लकीर
    यादों की मुझ पर
    छोड़ जाती हो

    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं ! बहुत ही प्यारी रचना ! आनंद आ गया इसे पढ़ कर !

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  10. दीया और बाती का रिश्ता ही ऐसा है ..बहुत सुन्दर..

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  11. कुछ रिश्ते अधूरे रहने के लिए ही बने होते हैं ....

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