10 अगस्त, 2012

वन देवी

एकांत पा पलकें मूंदे 
खो जाती  प्रकृति में
विचरण करती  उसके
 छिपे आकर्षण में|
वह  उर्वशी घूमती 
झरनों सी कल कल करती 
तन्मय हो जाती 
सुरों की सरिता में |
साथ पा वाद्ध्यों का
देती अंजाम नव गीतों को 
हर प्रहर नया गीत होता 
चुनाव वाद्ध्यों का भी अलग होता
वह गाती गुनगुनाती 
कभी  क्लांत तो कभी शांत
जीवन का पर्याय  नजर आती 
लगती  ठंडी बयार सी 
जहां से गुजर जाती 
पत्तों से छन कर आती धूप
सौंदर्य को द्विगुणित करती 
समय ठहरना चाहता
हर बार मुझे वहीँ ले जाता 
घंटों बीत जाते 
लौटने का मन न होता |
वह कभी उदास भी होती 
जब मनुष्य द्वारा सताई जाती 
सारी  शान्ति भंग हो जाती 
मनोरम छवि धूमिल हो जाती |
है वही वन की देवी 
संरक्षक वनों की 
विनाश उनका सह न पाती 
बेचैनी  उसकी छिप न पाती |
आशा





13 टिप्‍पणियां:

  1. प्रकृति का सौन्दर्यपूर्वक वर्णन
    बहुत सुन्दर
    जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाये
    :-)

    जवाब देंहटाएं
  2. भाव मय बहुत बढ़िया प्रस्तुति,,,,,

    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
    RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....

    जवाब देंहटाएं
  3. ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
    !!!!!! हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !!!!!!
    !!!!!!!!!! हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे !!!!!!!!!
    ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभ-कामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रकृति नटी का मानवीकरण अच्छी रचना ... ...कृपया यहाँ भी पधारें -
    शनिवार, 11 अगस्त 2012
    Shoulder ,Arm Hand Problems -The Chiropractic Approach
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  5. है वही वन की देवी
    संरक्षक वनों की
    विनाश उनका सह न पाती
    बेचैनी उसकी छिप न पाती |

    वेदना का सटीक आकलन

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रकृति के प्रति एक निश्छल प्रेम को उद्घाटित करती बहुत ही भावपूर्ण रचना ! आनंद आ गया पढ़ कर ! बहुत सुन्दर !

    जवाब देंहटाएं
  7. आज दिक्कत यह है वन माफिया वन देवी का ही चीड हरण कर रहा है कोई भीष्म नहीं है बचाने के लिए -वन देवी हर ले गयो वन माफिया कल रात ,कृष्ण बचाओ लाज .आपकी द्रुत टिपण्णी के लिए शुक्रिया .

    जवाब देंहटाएं
  8. वन(वन देवी ) को सुरक्षित रखने के लिए ...पेड़ों को काटने से रोकना होगा ,नए पेड़ लगाने होंगे ...पर कोई इस बात को नहीं सोचता ...

    जवाब देंहटाएं
  9. प्रकृति पर बहुत ही सुंदर कविता -आनंद आ गया

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: