12 अगस्त, 2012

तम और गहराता


तम और अधिक गहराता
गैरों सा व्यवहार उसका
जीवन बेरंग कर जाता
कोई  अपना नहीं लगता
जीना बेमतलब लगता
जब कोई  साथ नहीं देता
मन में कुंठाएं उपजाता
 खुशी जब  चेहरे पर होती
 सहना भी उसे मुश्किल होता
यही परायापन यही बेरुखी
अंदर तक सालती
लगती अकारथ जिंदगी
उदासी घर कर जाती
घुटन इतनी बढ़ जाती
व्यर्थ जिंदगी लगने लगती
जाने कब तक ढोना है
इस भार सी जिंदगी को
निराशा के गर्त में फंसी
इस बेमकसद जिंदगी को |

आशा




16 टिप्‍पणियां:

  1. उत्कृष्ट प्रस्तुति सोमवार के चर्चा मंच पर ।।

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  2. कभी कभी मन तामस के साए के फंदे में जकड जाता है ...मन के भावों को बहुत अच्छे से शब्दों में ढाला है बहुत बहुत बधाई

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  3. उदासी के रंग लिये सुन्दर रचना ! बहुत बढ़िया !

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  4. तम और अधिक गहराता
    गैरों सा व्यवहार उसका
    जीवन बेरंग कर जाता
    कोइ अपना नहीं लगता
    जीना बेमतलब लगता
    जब कोइ साथ नहीं देता
    कृपया "कोई "कर लें ,"कोइ "के स्थान पर .उदास लम्हे भी यूं ही गुजर जातें हैं ,यहाँ ठहरता कुछ नहीं सब कुछ भाग रहा है रंगमंच ज़िन्दगी पर .कृपया यहाँ भी पधारें -
    शनिवार, 11 अगस्त 2012
    कंधों , बाजू और हाथों की तकलीफों के लिए भी है का -इरो -प्रेक्टिक

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  5. जिंदगी की निराशा और हताशा लिए सुंदर अभिव्यक्ति,,,,,,

    RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....

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  6. उदास मन से उपजी कविता और भी गहराई तक असर करती है...
    बहुत सुन्दर आशा जी.

    सादर
    अनु

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  7. सुख-दुख को ही भोगता, जब तक रहती साँस।
    जीवन के ही साथ में, रहती आस-निराश।।

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  8. तम और गहराता
    Asha Saxena
    Akanksha



    इधर गहनतम तम दिखा, तमतमाय उत लोग |
    तमसो मा ज्योतिर इधर, करें लोग उद्योग |
    करें लोग उद्योग, उधर बस चांदी काटें |
    रिश्वत चोरी छूट, लूट कर हिस्सा बाटें |
    रविकर कुंठित बुद्धि, नहीं कोशिश कर जीते |
    बेढब सत्तासीन, लगाते इधर पलीते ||

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  9. अनुपम भाव लिए बेहतरीन अभिव्‍यक्ति .. आभार

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  10. अंधेरे से भी ज्यादा किसी का रूखा व्यवहार अधिक तम बिखरा जाता है जीवन में ...

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  11. उदासी और निराशा...जीवन की दिशा बदल देते हैं

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  12. अंतर्मन को सालता , गैरों - सा व्यवहार
    रंगहीन जीवन हुआ , लागे सब निस्सार
    लागे सब निस्सार,'अपेक्षा' मूल दुखों का
    कीजे नष्ट समूल, खिलेगा फूल सुखों का
    नहीं असंभव कठिन किंतु खुद में परिवर्तन
    मन को थोड़ा मार, करें सुखमय अंतर्मन ||


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  13. उदासी का आलम कुछ ऐसा ही होता है ..
    भावमयी रचना !

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